Pregnancy – Kumar Medical Care https://kumarmedicalcare.com Home of the best ideas for Healthy Life. Thu, 15 Jul 2021 03:52:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.7.2 https://i0.wp.com/kumarmedicalcare.com/wp-content/uploads/2021/05/cropped-PicsArt_05-05-08.55.58-1-e1620299205229.png?fit=32%2C32&ssl=1 Pregnancy – Kumar Medical Care https://kumarmedicalcare.com 32 32 191125729 प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे और नुकसान । Benefits of eating watermelon during pregnancy https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-watermelon-during-pregnancy/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=benefits-of-eating-watermelon-during-pregnancy https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-watermelon-during-pregnancy/#respond Fri, 11 Jun 2021 13:41:34 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=632 गर्मियों के मौसम मे आने वाला तरबूज को सभी खाना पसंद करते है। तरबूज मे 92% पानी होता है। और इसके अलावा भी कई सारे ...

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गर्मियों के मौसम मे आने वाला तरबूज को सभी खाना पसंद करते है। तरबूज मे 92% पानी होता है। और इसके अलावा भी कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है। जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते है। लेकिन क्या गर्भवस्था के दौरान तरबूज को खाया जा सकता है। ये सवाल हर गर्भवती महिला के मन मे रहता है। इसलिए आज हम Kumar Medical Care के इस पोस्ट मे जानेंगे जिसमे गर्भावस्था के दौरान तरबूज खाने के क्या फायदे होते है और इसके क्या नुकसान होते है। और किस तरह गर्भवती महिलाये तरबूज को अपने आहार मे शामिल कर सकती है। इन सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट ‘ प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे और नुकसान ‘  मे जानेंगे जो अलग अलग सेक्सन मे नीचे लिखे गए है।

क्या गर्भावस्था के दौरान तरबूज खाना सही है?

तरबूज मे 92% पानी, प्रोटीन, वसा भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। और इनके अलावा भी तरबूज मे विटामिन-ए, विटामिन सी,विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, जिंक, कैल्शियम भी पाया जाता है। जो गर्भवती महिला और उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे के के विकास के लिए बहुत ही फायदेमंद होते है। इसलिए संतुलित मात्रा मे तरजूब का सेवन करने से गर्भवती महिला और बच्चे के के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और डायटीशियन डाक्टर भी प्रोटीन विटामिन और कार्बोहाईड्रेट के संतुलित मात्रा मे तरबूज का सेवन करने की सलाह देते है।

अगर हम बात करे की, किस तरह तरबूज गर्भवती महिला के लिए लाभदायक है। तो तरबूज मे पानी अधिक मात्रा मे पाया जाता है, गर्भावस्था मे पानी की कमी को दूर करता है, इसमे सूजन को कम करने वाला गुण पाया है। स्किन को चमकदार बनाता है, इसमे मिनरल पाए जाता है। तरबूज कब्ज को ठीक करता है। और रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करने का कार्य करता है। इस तरह के अनैक तरबूज के फायदे होते है। जो हम नीचे पड़ेंगे।

तरबूज के पोषक तत्व । तरबूज मे कोन कोन से पोषक तत्व पाए जाते है?

अगर हम पोषक तत्वों की बात करे तो तरबूज मे अनैक लाभदायक पोषक तत्व पाए जाते है, जो गर्भवस्था मे महिला तथा गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकास मे सहायक होते है। जो निम्न प्रकार के है-

  • अगर हम पोषक तत्वों को बात करे जिससमे 100 ग्राम तरबूज में लगभग:-
  1. 45 ग्राम पानी,
  2. 2 ग्राम शुगर,
  3. 61 ग्राम प्रोटीन,
  4. 55 ग्राम कार्बोहाइड्रेट,
  5. 15 ग्राम टोटल लिपिड
  6. 4 ग्राम फाइबर और
  7. 30 किलोकैलोरी ऊर्जा की पाई जाती है।
  • और हम मिनरल्स की बात करें तो 100 ग्राम तरबूज में:-
  1. 10 मिली ग्राम मैग्नीशियम,
  2. 7 ग्राम कैल्शियम,
  3. 038 मिलीग्राम मैगनीज,
  4. 24 मिली ग्राम आयरन,
  5. 11 मिलीग्राम फास्फोरस,
  6. 112 मिलीग्राम पोटेशियम,
  7. 1 मिली ग्राम सोडियम,
  8. 042 मिलीग्राम कॉपर, और
  9. 4 माइक्रोग्राम सेलेनियम पाया जाता है।
  • और बात करें अगर विटामिन की तो 100 ग्राम तरबूज में:-
  1. ग्राम विटामिन बी-6,
  2. 1 मिलीग्राम विटामिन सी,
  3. 033 मिलीग्राम थियामिन,
  4. 05 मिलीग्राम विटामिन ई
  5. 021 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन,
  6. 178 मिली ग्राम नियासिन,
  7. 045 मिली 3 माइक्रोग्राम फोलेट,
  8. 28 माइक्रोग्राम विटामिन ए (आरएई), और
  9. 01 माइक्रोग्राम विटामिन K पाया जाता है।
  • और हम लिपिड की बात करे तो लिपित के रूप में 100 ग्राम तरबूज में:-
    • फैटी एसिड (टोटल सैचुरेटेड) 016 ग्राम,
    • फैटी एसिड (टोटल मोनोअनसैचुरेटेड) 037 ग्राम और फैटी एसिड (टोटल पॉलीसैचुरेटेड) 0.05 ग्राम पाया जाता है।

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प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे

डिहाइड्रेशन को कम करता है:-

गर्भावस्था मे महिलाओ को थकान, और सुस्ती होती है, जो की डिहाइड्रेशन(पानी की कमी) होने के कारण होती है, गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओ को शरीर मे अक्सर पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाये शरीर मे पानी की कमी को दूर करने के लिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल कर सकती है। क्योंकि तरबूज मे 90% पानी पाया जाता है। जो की इस स्थिति मे डिहाइड्रेशन को खत्म करने मे मदद करता है।

मॉर्निंग सिकनेस कम करता है:-

गर्भवती महिलाओ को अक्सर गर्भावस्था के दौरान मतली(जी मचलान) और उल्टी होती है। और यह दिन मे कभी भी हो सकती है। जो गर्भवती महिलाओ को के लिए बड़ी समस्या बन जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओ को सुबह सुबह तरबूज का सेवन करना चाहिए या तरबूज का जूस पीना चाहिये। क्योंकि तरबूज मे विटामिन बी6 पाया जाता है। जो उलटी और मतली से राहत दिलाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को उलटी और जी मचलाने से राहत पाने के लिए अपने आहार मे तरबूज को भी शामिल करना चाहिए।

शरीर को डिटॉक्स करता है

तरबूज शरीर को डिटॉक्स करने मे भी मदद करता है। क्योंकि तरबूज मे डाइयुरेटिक गुण भी पाया जाता है। जो शरीर से विशेले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को तरबूज को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए। क्योंकि तरबूज मे  विषेले पदार्थ बाहर निकालने वाला गुण होने के कारण शरीर से विषेले तत्व बाहर निकाल जाने से स्किन मे रोजक आती है। और किडनी और लिवर भी ठीक से कार्य करने लगते है।

प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए :

तरबूज मे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बड़ाने वाले गुण पाए जाते है। इस पर एक शोध भी की गई है। एक्सपेरिमेंटल एंड एनिमल साइंस द्वारा इस पर शोध किया गए है। और कहा गए है। की तरबूज मे रोग प्रतिरोशक क्षमता को बड़ाने वाला गुण लाइकोपेन (Lycopene)  पाया जाता है। जो की एक एंटीऑक्सीडेंट है। जो शरीर मे रोगप्रतिरोधिक क्षमता को बड़ाने मे मदद करता है। इस आधार पर कह सकते है, की गर्भावस्था मे रोगप्रतिरोशक क्षमता को मजूबत बनाने के लिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल जरूर करना चाहिए।

सीने की जलन में राहत :

तरबूज मे एसिडिटी को कम करने का गुण पाया जाता है। और गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अपच के कारण एसिडिटी की समस्या होती रही है। जिस कारण महिलाओ को सिने मे जलन की शिकायत होती रहती है। गर्भवस्था के दौरान एसिडिटी को काम करने के लिए महिलाये तरबूज का उपयोग कर सकती है। क्योंकि तरबूज मे एसिड को कम करने का गुण होता है। जिससे एसिडिटी से राहत मिलती है।

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सूजन कम करने में मदद करे :-

तरबूज में एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) गुण मौजूद होता है। जो सूजन को कम करने मे बहुत मदद करता है। और गर्भवस्था के दौरान अक्सर महिलाओ को सूजन का सामना करना पड़ता है। जिसे हम एडिमा कहते है। इसलिए महिलाओ के पेरो मे सूजन ना हो इसलिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल कर सकती है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान 80% महिलाओ को हाथ पेरो मे सूजन आने की संभावना देखी गई है।

मांसपेशियों की ऐंठन को करे कम :

गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अक्सर मांसपेशियों मे दर्द का सामना करना पड़ता है। जो मिनरल्स और विटामिन्स की कमी के करना होता है। तरबूज मे मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन बी और विटामिन सी आदि भरपूर मात्रा मे पाए जाते है। और विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के तरबूज के सेवन से मांसपेशियों की ऐंठन को काम किया जा सकता है।

त्वचा की रंगत को रखे बरकरार :

गर्भावस्था के दौरान महिलाओ के शरीर मे होने वाले बदलाओ के कारण गर्भवती महिलाओ की स्किन के रंग मे भी बदलाव आने लगते है। और त्वचा के रंग मे बदलाव हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा का रंग गहरा होना) के कारण होता है। इस बदलाव को नियंत्रित करने के लिए महिलाओ को तरबूज का सेवन करना चाहिए क्योंकि तरबूज मे विटामिन सी पाया जाता है। जो हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा का रंग गहरा होना) के प्रभाव को कम करने मे मदद करता है। जिससे त्वचा की रंग और रंगत मे सुधार आता है। इस लिहाज से ये कह सकते है, की गर्भावस्था मे बदलाव के कारण त्वचा के रंग और रंगत को ठीक करने के लिए तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल जरूर करना चाहिए।

कब्ज से दिलाए राहत :-

तरबूज मे पानी 90% पाया जाता है। और इसने फाइबर भी अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो पाचन की क्रिया को ठीक करने मे लाभदायक होता है। और एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक पेज मे बताया गया है, की तरबूज मे पानी और फाइबर की अच्छी मात्रा उपलब्ध होने से कारण यह पाचन प्रक्रिया को ठीक करने मे बहुत मदद करता है। और डाक्टर भी पेट की समस्याओ मे फाईबर युक्त भोजन लेने की सलाह देते है।

मूत्र मार्ग के संक्रमण में फायदेमंद :-

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओ के शरीर मे अनैक तरह के बदलाव होते है। जैसे शारीरक बदलाव और हार्मोनल बदलाव इन बदलाव के कारण महिलाओ के मूत्र मार्ग मे संक्रमण की समस्या हो सकती है। इस स्थित मे गर्भवती महिलाओ को तरबूज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि तरबूज मे एंटीबेक्टरियाल गुण पाया जाता है। जो मूत्र मार्ग के संक्रमण में फायदेमंद होता है। और तरबूज किडनी की कार्य क्षमता को बड़ाने मे भी मदद करता है।

भ्रूण की हड्डियों के निर्माण में सहायक :-

गर्भवती महिलाओ के गर्भ पे पल रहे भ्रूण की हड्डियों के विकास के लिये फोस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम की आवस्यकता होती है। ये सभी तत्व भ्रूण की हड्डियों निर्माण मे सहायता करते है। इसके अलावा महिला की हाड़ियों को भी मजबूत बनाते है। ये तत्व तरबूज मे पाए जाते है। इस कारण कह सकते है, की गर्भावस्था के दौरान तरबूज खाना भ्रूण की हड्डियों के विकास के लिए लिए लाभदायक है।

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क्या गर्भावस्था के दौरान तरबूज का सेवन करने के दुष्प्रभाव

गर्भवस्था के दौरान तरबूज संतुलित मात्रा मे खाने से लाभ होते है। लेकिन तरबूज को अधिक मात्रा मे सेवन करने से आपको हानिया भी पहुच सकती है। जो निम्न है-

  • तरबूज मे शुगर अधिक मात्रा मे पाई जाती जाती है। इससे आपका शुगर स्तर बड सकता है। इसलिए इसे अधिक मात्रा मे सेवन न करे।
  • तरबूज मे नियमीन पाया जाता है, जिस कारण आपको, चक्कर आ सकते है। आपको उलटी हो सकती है। और लिवर से संबंधित समस्याए उत्पन्न हो सकती है।
  • आपको पेट दर्द की समस्या हो सकती है। क्योंकि इसमे विटामिन सी अधिक मात्रा मे पाया जाता है।
  • तरबूज के अधिक सेवन से आपको दस्त लग सकते है।
  • तरबूज को अन्य भोज्य पदार्थों के साथ सेवन करने से आपको एलर्जी की समस्या हो सकती है।
  • तरबूज में मौजूद डाइयुरेटिक गुणों पाया जाता है। जो विषेले पदार्थ शरीर से बाहर निकलता है। लेकिन तरबूज के अधिक सेवन से यह शरीर के पोषक तत्वों को भी बाहर निकाल सकता है।

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गर्भावस्था में तरबूज को अपने आहार मे शामिल करे।

अगर हम बात करे की किस तरह हम तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल कर सकते है। तो कुछ इन तरीकों से आप तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल कर सकती हो।

  1. तरबूज को काटकर छोटे छोटे टुकड़े करके नसते के साथ खाया जा सकता है।
  2. तरबूज को सीधे काटकर खाया जा सकता है।
  3. आप तरबूज का जूस बनाकर भी पी सकता है।
  4. आप तरबूज को सलाद की तरह भी उपयोग कर सकता है।
  5. आप चाहें तो स्मूदी बनाकर भी इसे प्रयोग में ला सकती हैं।

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तरबूज खाने के दौरान ध्यान रखने वाली सावधानियां

तरबूज का सेवन करने से पहले कुछ सावधनियों को भी ध्यान मे रखना होता है। जो निम्न लिखित है-

  • ताजा कटा हुआ तरबूज ही खाने के लिए इस्तेमाल करे। क्योंकि पहले से कटा हुआ तरबूज जल्दी खराब हो सकता है। और खराब तरबूज खाने से आपकी तबियत खरंब हो सकती है ।
  • तरबूज को काटने से पहले तरबूज और अपने हाथों को अच्छे से धोए और काटने के लिए उपयोग मे लाए जाने वाले चाकू और फ्लैट को भी आधे धोंना चाहिए।
  • अंदर से पके हुये और लाल तरबूज का ही सेवन करे।
  • गर्भवस्था मे संतुलित मात्रा मे ही तरबूज का सेवन करना चाहिए।

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गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान । Benefits of eating Grapes during Pregnancy https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-grapes-during-pregnancy/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=benefits-of-eating-grapes-during-pregnancy https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-grapes-during-pregnancy/#respond Thu, 10 Jun 2021 11:53:32 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=626 गर्भवस्था एक येसी स्थिति है, जिसमे महिलाओ को अलग- अलग तरह के फल और व्यंजन खाने की इच्छा होती है। लेकिन गर्भवस्था मे एक छोटी ...

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गर्भवस्था एक येसी स्थिति है, जिसमे महिलाओ को अलग- अलग तरह के फल और व्यंजन खाने की इच्छा होती है। लेकिन गर्भवस्था मे एक छोटी से चूक या गलती बहुत भारी पड़ सकती है। गर्भावस्था मे महिलाओ को अपना पूरा-पूरा ख्याल रखना होता है। लेकिन अंगूर एक येसा फल है, जिसे देख कर तो सभी के मुह मे पानी आ जाता है। लेकिन सवाल ये उठता है, की क्या गर्भावस्था मे अंगर खाया जा सकता है या नहीं, तो आइए जानते है। हमारे इस ब्लॉग Kumar Medical Care की इस पोस्ट मे गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान के बारे मे सपूर्ण जानकरी जो नीचे अलग-अलग सेक्सन मे लिखी गई है।

क्या गर्भावस्था के दौरान अंगूर खाना सुरक्षित है । Is it Safe to Eat Grapes While Pregnant?

अक्सर गर्भवती महिलाओ के मन मे ये सवाल रहता है, की क्या गर्भावस्था के दौरान अंगूर खाना सुरक्षित है, जी हाँ गर्भवस्था के दौरान अंगूर का सेवन कर सकते है। और रिसर्च के अनुसार एक पेपर मे लिखा है, की गर्भावस्था के दौरान फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन, आयरन, फोलिक एसिड आदि की आवश्यकता होती है। जो की अंगूर मे ये सारे तत्व भरपूर मात्र मे पाए जाते है। जो गर्भवती महिला के गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकास मे मददगार होते है। और अंगूर गर्भवती महिला को भी अनैक तरह के से लाभदायक होता है। जैसे अंगूर मे मैग्नीशियम पाया जाता है, जो माँस पेसियों के दर्द से राहत दिलाता है। खून की कमी को दूर करता है, कब्ज की समस्या से छूटकरा दिलाता है, हार्ट के लिए लाभदायक होता है, शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बड़ाता है। इनके अलाव भी अनैक तरह से लाभकारी होता है। जो हम नीचे विस्तार से पड़ेंगे।

अंगूर के पोषण तत्व । अंगूर के कोन कोन से पोषक तत्व पाए जाते है।

अंगूर पोषकता से भरपूर होता है। लेकिन हम अगर बात करे की इसमे कोन-कोन से पोषक तत्व पाए जाते है। तो जिसमे ये कुछ पोषक तत्व पाए जाते है जो निम्न है-

  • पानी- 80.54g
  • एनर्जी- 69 Kcal
  • प्रोटीन- 0.72 g
  • लिपिड -0.16g
  • कार्बोहाईड्रेट – 18.1g
  • शुगर- 15.48g
  • केल्सियम- 10ml
  • आयरन- 0.36 mg
  • मेग्नीशियम- 7 mg
  • फास्फोरस- 20 mg
  • पोटेशियम- 191 mg
  • सोडियम- 2 mg
  • जिंक- 0.07 mg
  • कापर- 0.127 mg
  • मेगनीज- 0.071 mg
  • विटामिन्स- 3.2 mg
  • थियामीन- 0.069 mg
  • रायबोफ्लॉवीन- 0.07
  • नियामीन- 0.188 mg
  • विटामिन बी 6- 0.086mg
  • विटामिन ई- 0.19 mg
  • विटामिन के-14.6µg

गर्भावस्था के दौरान एक दिन में कितने अंगूर खाने चाहिए?

अगर हम बात करे की गर्भावस्था के दौरान एक दिन में कितने अंगूर खाने चाहिए ये सवाल हर महिला के मन मे होता है। गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्र मे ही अंगूर का सेवन करना चाहिए। डायटीशियन के अनुसार लगभग 16 अंगूर के दाने अपने आहार मे शामिल करने की सलाह देते है। जिसमे आप 16 अंगूर के दाने सुबह और 16 अंगूर के दाने शाम को खा सकते है। गर्भवस्था मे अंगूर खाना सुरक्षित है। लेकिन अपने चिकित्सक से सलाह जरूर से ले।

प्रेग्नेंसी के दौरान अंगूर खाने के फायदे । Benefits of Eating Grapes During Pregnancy

गर्भावस्था के दौरान फलों के सेवन से बहुत सारे फायदे मिलते है। जिसने अंगूर की बात करे जिसमे फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन, आयरन, फोलिक एसिड आदि भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। जो गर्भवस्था मे महिला और गर्भ मे पल रहे बच्चे के लिए लाभदायक होते है। अंगूर के फ़ायदों के बारे मे इस सेक्सन मे हम जानेंगे जो निम्न है-

पाचन क्रिया बेहतर बनाए।  Improve Digestion:-

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को पाचन से संबंधित समस्याओ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अंगूर जो की मे फाइबर भरपर मात्र मे पाया जाता है। जो पेट मे कब्ज से राहत दिलाने मे मदद करता है। शरीर मे मेटबॉलिज़्म क्रिया को बड़ाता है। अगुर के सेवन से गर्भवस्था मे कब्ज की समस्या से छुटकार पाने मे मदद मिल सकती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को अंगूर को अपने आहार मे जरूर शामिल करना चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ाये । Increase Immunity  :-

गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को स्ट्रॉंग बनाए रखने की आवश्यकता होती है। जो की अंगूर मे विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते है। जिससे गर्भावस्था के दौरान अंगूर के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने मे मदद मिलती है। जिससे गर्भावस्था के दौरान सर्दी, खांसी, जुखाम, फ्लू, जैसे इन्फेक्शन आदि होने के खतरे से बचने मे मदद मिलती है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को अंगूर को अपने आहार मे शामिल कर सकती है।

और पड़े प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे और नुकसान

हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करे । Help in Increase Hemoglobin :-

गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओ को खून की कमी का सामना करना पड़ता है। येसे मे महिला और गर्भ मे पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है। इस समस्या को मे अगुर का सेवन करना अभूत फायदेमंद होगा क्योंकि अंगूर मे आयरन और एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो खून की कमी को दूर करने मे सहायक होते है। जो शरीर मे हीमोग्लोबिन की मात्रा को बड़ाने मे बहुत मदद करते है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को अगुर को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।

हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी । Beneficial for Heart:-

अंगूर के सेवन से लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने मे मदद मिलती है। क्योंकि अंगूर मे फ्लेवनोइड, फिनोलिक एसिड और रेस्वेराट्रोल मोजूद होते है। जो लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सामान्य बनाने मे मदद करते है। जिससे ब्लड प्रेसर सामान्य बना रहे। इसलिए गर्भवती महिलाओ को अपने आहार मे अगुर को जरूर शामिल करना चाहिए।

अर्थराइटिस से दिलाए राहत Provide Relief in Arthritis :

गर्भावस्था मे महिलाओ को जोड़ों के दर्द, और जोड़ों मे सुजन आदि समस्याये होती है, जिसे हम अर्थराइटिस कहते है। गर्भावस्था के दौरान इस अंगूर के सेवन से इस समस्या मे राहत मिल सकती है। क्योंकि अंगूर मे एंटीइन्फ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। अंगूर मे पॉलीफेनॉल्स नामक तत्व पाया जाता है। जो सूजन को कम करने का कार्य करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाये दर्द और सूजन की समस्या से निजात पाने के लिए अंगूर को अपने आहार मे शामिल कर सकती है।

मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करे Remove Muscles Cramps :-

गर्भावस्था के दौरान होने वाले थकान और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या को दूर करने के लिए अंगूर बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमे पाया जाने वाला कार्बोहाईड्रेट जो शरीर मे होने वाली थकान को दूर करता है और अंगूर मे उपस्थित फिनोलिक यौगिक ऑक्सीडेटिव मांसपेशियों पर लगने वाले तनाव को कम करने मे मदद करता है। जिससे होने वाली मांसपेशियों की ऐंठन को दूर किया जा सकता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को थकान और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या को दूर करने ले लिए अंगूर को अपनी डाइट मे शामिल जरूर से करना चाहिए।

और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण

खून जमने की प्रक्रिया को करे नियंत्रित Control The Blood Clotting process

गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में प्रसव के दौरान खून के थक्के जमने की समस्या देखी जाती है। अंगूर मे एंटीकोगुलेंट (खून को पतला करने वाला) प्रभाव भी पाया जाता है। जो खून को जमने या गाढ़ा होने से रोकता है। एसी स्थिति को ठीक करने के लिए गर्भवती महिलाओ को अपनी डाइट मे अंगूर को शामिल करना करना चाहिए।

कैविटी हटाए और दांतों को मजबूत बनाए Remove Cavities and Make teeth Strong :-

अंगूर मे कैल्शियम इनेमल पाया जाता है। जो दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाने मे मदद करता है। और एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव भी मोजूद होता है। जो दांतों मे जमने वाली केविटी को दूर करता है। और मुंह को स्वास्थ्य बनाने मे सहायता करता है। इसलिए येसा कहना गलत नहीं होगा की, गर्भवती महिलाओ को अपने मुह और दांतों को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अंगूर का सेवन करना चाहिए।

हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है । Help s to Keep Hydrated

अंगूर मे 80.54g पानी पाया जाता है। जो प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली पानी की कमी को दूर करने मे बहुत मददगार साबित होगा। इसलिए गर्भवती महिलाये को अंगूर को अपनी डाइट मे शामिल करके शरीर मे पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।

अस्थमा में पहुंचाए लाभ Beneficial for Asthma :-

अगर गर्भवस्था के दौरान महिला को अस्थमा की शिकायत है, तो अंगूर का सेवन कर अस्थमा मे कुछ राहत मिल सकती है। क्योंकि अंगूर में रेस्वेराट्रोल (resveratrol) नाम का पॉलीफेनोल पाया जाता है। इस रेस्वेराट्रोल (resveratrol) पॉलीफेनोल मे एंटी इंफलमेंट्री गुण मोजूद होता है। जो अस्थमा के कारण फेफड़ों मे होने वाले सूजन को काम करने मे मदद करता है। एक शोध मे जिक्र मिलता है, की अंगूर के बीजों के अर्क से अस्थमा मे राहत मिलतीं है। इसलिए येसा कहा जा सकता है, की अगर गर्भवस्था के दौरान किसी महिला को अस्थमा की शिकायत है, तो अंगूर का सेवन करके कुछ राहत पा सकती है।

और पड़े गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे

गर्भ में बच्चे के विकास के लिए अंगूर के फायदे

अगर हम बात करे की अंगूर के सेवन से गर्भ मे पल रहे बच्चे को क्या फायदा होगा तो निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम गर्भ मे पल रहे भ्रूण के विकास के लिए अंगूर के फायदों के बारे में जान सकते हैं।

  • अंगूर मे उपस्थित विटामिन बी 6 जो गर्भावस्था मे गर्भ मे पल रहे भ्रूण के विकास मे सहायता करता है और मॉर्निंग सिकनेस्स( उलटी और जी मचलना) रोकने मे मदद करता है, जिससे महिला के शरीर मे नूट्रिशन की कमी नहीं तो पाती है, जिससे बच्चे को पूरा पोषण मिलता है।
  • अंगूर के सेवन से गर्भ मे पल रहे बच्चे के दिमाग को विकसित होने मे मदद मिलती है। क्योंकि अंगूर मे प्रोटीन और फेटी एसिड पाया जाता है। जो बच्चे के ब्रेन के विकास के लिए सहायक होता है।
  • अंगूर के सेवन से गर्भ मे पल बच्चे के आँखों के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि अंगूर मे विटामिन-ए पाया जाता है, जो आँखों के विकास के लिए बहुत ही सहायक होता है।
  • यह बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (ब्रैन, स्पाइनल कॉर्ड का विकार) के खतरे से भी बचत है। इसमें मौजूद फोलेट यानी फोलिक एसिड के खतरे से बचाता है।

और पड़े गर्भावस्था में आम खाने के फायदे और नुकसान

गर्भावस्था के दौरान अंगूर के सेवन से होने वाले साइड-इफेक्ट

गर्भावस्था के दौरान अंगूर के सेवन से गर्भवती महिला को और उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे को फायदे होते है। लेकिन अंगूर अधिक मात्र मे सेवन करने से आपको नुकशान भी हो सकते है। जो की इस प्रकार के है-

  1. अंगूर में मौजूद फिनोलिक यौगिकों जो की ब्लड में लिपिड और बड़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाने मे मदद करता है। लेकिन इसमे कुछ विषैले गुण मौजूद होते हैं, अंगूर के अधिक सेवन से हानिकारक प्रभाव डाल सकते है।
  2. अंगूर के अधिक सेवन से आपको गैस, पेट मे मरोड़, दस्त, आदि समस्या हो सकती है। क्योंकि इसमे अधिक मात्रा मे फाइबर होता है। और अंगूर के अधिक सेवन से पेट से संबंधित समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  3. अगर किसी महिला को मधुमेह की शिकायत है। तो अंगूर के अधिक सेवन से शुगर की समस्या ओर अधिक बड सकती है।
  4. अगर अंगूर कच्चे है, जो स्वाद मे खट्टे होते है, तो उनका सेवन नहीं करने चाहिए। क्योंकि उनमे अम्ल की मात्र ज्यादा होती है। जो हानिकारक प्रभाव डाल सकते है।
  5. अंगूर मे कार्बोहाइड्रेट अधिम मात्रा मे होने के कारण आपका वजन भी बड सकता है।

और पड़े गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान

गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में अंगूर कैसे शामिल करें?

अब सवाल ये उठता है, गर्भावस्था के दौरान अंगूर को आहार में कैसे शामिल करे। क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत सतर्कता रखनी पड़ती है। तो अंगूर को अपने आहार मे शामिल करने के लिए निम्न तरीकों को अपनाया जा सकता है:

  • अंगूर को सीधे खाया जा सकता है।
  • अगर का जूस बना कर पिया जा सकता है।
  • अंगूर को फ्रूट और सलाह से साथ खाया जा सकता है।
  • सुबह के समय नास्ते के साथ खा सकते है।
  • दोपहर मे भी खा सकते है।

गर्भावस्था में अंगूर खाने से कब बचें?

गर्भावस्था मे अंगूर बहुत ही फायदेमंद होता है, जो आपको बहुत सारे लाभ पहुचाता है। लेकिन कुछ परिस्थितिया यैसी होती है, जिनमे अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए। जो निम्न लिखित है-

  • अगर किसी महिला को डायबिटीज की समस्या है, तो उस महिला को अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि अंगूर मे शुगर बहुत अधिक मात्रा मे पाई जाती है।
  • अगर पाचन से संबंधित कोई समस्या है, जैसे गैस, दस्त, पेट मे मरोड़ आदि मे अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अगर आपको अंगूर के सेवन से कोई एलर्जी होती है, जैसे शरीर मे खुजली होना, स्किन पे चकते पड़ जाना आदि तो अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अगर किसी महिला को अधिक मोटापा है, तो अंगूर का सेवन अधिक मात्र मे न करे। इसमें मौजूद शुगर की मात्रा गर्भावस्था मधुमेह की समस्या उत्पन्न कर सकती है।

और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है।

गर्भवस्था के दौरान अंगूर खाने के बारे मे पूछे जाने वाले सवाल । Frequently asked Questions about Eating Grapes During Pregnancy

प्रश्न:- क्या गर्भवती महिला अंगूर को खाली पेट खा सकती है?

उत्तर:- गर्भवती महिला अंगूर को खाली पेट खाए या नहीं, इस बारे मे कुछ कह नहीं सकते है। क्योंकि इस बारे मे कोई अध्ययन नहीं हुआ है।

प्रश्न:- क्या गर्भावस्था के दौरान रोजाना अंगूर खा सकते हैं?

उत्तर:- सीमित मात्रा में गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन अंगूर का सेवन कर सकते हैं। इनसे कोई नुकसान नहीं होगा।

प्रश्न:- अंगूर किसे नहीं खाना चाहिए?

उत्तर:- जिन महिलाओ को महुमह की शिकायत है, उनको अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए। अन्यथा आपका शुगर लेवल बड़ सकता है।

प्रश्न:- क्या गर्भावस्था में अंगूर के बीज खा सकते हैं?

उत्तर:- वेसे तो अंगूर सीधे ही खाए जाते है। लेकिन इस बात की जानकरी नहीं है

प्रश्न:- अगर मुझे जेस्टेशनल डायबिटीज है, तो मैं कितने अंगूर खा सकती हूँ?

उत्तर:- अंगूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकायत है, तो आप अंगूर का सेवन न करे। इनके सेवन से शुगर का स्तर बड़ सकता है।

प्रश्न:- क्या गर्भावस्था के दौरान सूखे अंगूर या किशमिश खाना सुरक्षित है?

उत्तर:- गर्भावस्था के दौरान किशमिश का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है। लेकिन किसमिश को अधिक मात्रा मे सेवन नहीं करे।

प्रश्न:- क्या हरे अंगूर काले अंगूर जितने ही पौष्टिक होते हैं?

उत्तर:- हरे अंगूर और काले अंगूर दोनों के स्वास्थ्य लाभ लगभग समान ही हैं, लेकिन विसेसज्ञों के अनुसार काले अगूरों मे एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा मे पाए जाते है।

आसा करता हु आपको हमरी इस पोस्ट मे गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान के बारे मे जानकारी मिली होगी और उममित है आपको ये पोस्ट अच्छी लागि होगी। अगर आपका कोई सवाल है, तो नीचे कॉमेंट मे जरूर लिखे और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

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गर्भावस्था के दौरान महिला को अनैक विशिष्ठ व्यंजन खाने की इच्छा होती है। येसे हम अगर आम कि बात करे तो आम गर्भवती महिलाओ को बहुत लुभाता है। लेकिन गर्भावस्था मे महिलाओ के मन मे ये संदेह रहता है, की गर्भवस्था मे आम को खा सकते है या नहीं। आम ऊर्जा का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है। आम मे केलोरी भरपूर मात्रा मे पाई जाती है। तो आइए जानते है। विस्तार पूर्वक इस ब्लॉग Kumar Medical Care मे इस टॉपिक गर्भावस्था में आम  खाने के फायदे और नुकसान के बारे को नीचे अलग अलग सेक्सन मे लिखा है।

क्या गर्भावस्था के दौरान आम खाना सुरक्षित है?

जी हाँ गर्भवस्था के दौरान आम खाना बिल्कुल सुरक्षित है। क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार आम के आंदर एनर्जी, प्रोटीन, फैटी एसिड, फोलेट, कैल्शियम, आयरन के साथ विटामिन ए जैसे कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है, जो गर्भवस्था के दौरान भ्रूण के विकाश के लिए आवस्यक होते है।

पोषकता से भरपूर आम और इसमे कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है। जैसे वितमीन्स, मिनरल्स, फेटीएसिड, नियासिन, फोलेट के साथ कैल्शियम, थियामिन, राइबोफ्लेविन मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। जो गर्भावस्था मे गर्भवती महिला को इनकी आवस्तकता होती है। जो की आमों मे भरपूर मात्र मे पाए जाते है। गर्भवस्था मे इनके सेवन से कई सारे लाभ होते है। जो महिलाओ को उलटी और जी मचलाने की समस्या से राहत दिलाता है, और पाचन क्रिया को ठीक करता है। आमों के सेवन से एनीमिया की समस्या मे लाभ मिलता है और इनके अलावा और भी कई सारे फायदे होते है, फ़ायदों के अलावा कुछ नुकशान भी होते जो हम इस पोस्ट मे नीचे पड़ेंगे।

गर्भावस्था में आम खाने के फायदे । Benefits of Eating Mangoes During Pregnancy

गर्भावस्था मे आम बहुत लाभकारी होता है। तो आईए जानते है आम के फ़ायदों के बारे मे जो की निम्न है-

एनीमिया को करे दूर। Removes Common Anemia

गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओ को खून की कमी (एनीमिया) का सामना करना पड़ता है। इस कमी को दूर करने के लिए आम का सेवन करना बहुत फायदेमंद होगा। आम मे विटामिन सी भरपूर मात्र मे पाया जाता है। जो हमारे शरीर मे आयरन को अवशोषित करने का कार्य करता है। और आम मे आयरन भी पाया जाता है। जिस कारण शरीर मे आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की शिकायत को समाप्त करने मे सहायता करता है। अगर गर्भवती महिलाये दिन मे 1 या 2 आम का सेवन करती है। तो आयरन की कमी से होने वाली खून की कमी को दूर किया जा सकता है।

भ्रूण के विकास में सहायक । Help in fetal Development

आम मे फोलिक एसिड भरपूर मात्र मे पाया जाता है। और गर्भावस्था के दौरान डाक्टर भी फॉलिक एसिड की दवाईया लेने की सलाह देते है। फॉलिक एसिड भ्रूण के विकाश मे महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को आम के सेवन से फॉलिक एसिड की कमी को दूर किया जा सकता है। आम मे मोजूद फॉलिक एसिड भ्रूण के न्यूराल ट्यूब डिफेक्ट् के खतरे को कम कर देता है। गर्भावस्था मे आम खाने से बच्चे का तंत्रिका और मस्तिष्क का विकास अच्छे से होता है। जिससे बच्चे को एक तंत्रिका संबंधित विकार के खतरे को कम किया जा सकता है।

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पाचन में करे सुधार । Improve Digestion

एक शोध मे बताया गया है, कि आम के अंदर फ़ाइबर भी बहुत अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो पचान मे सुधार लाने मे मदद करता है। यह पाचन क्रिया को तंदूरत बनाता है। जिससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली पाचन की समस्या को ठीक करने मे भी बहुत मदद करता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को आम को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर । Rich in Antioxidants

आम से संबंधित एक शोध मे स्पष्ट रूप से बताया गया है, की आम के अंदर विटामिन सी बहुतायत से पाया जाता है। विटामिन सी एक बहुत हि अच्छा एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। जो गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकाश के लिए बहुत ही आवस्यक है।

विटामिन ए का स्त्रोत । Source of Vitamin A

आम विटामिन ए का बहुत ही अच्छा स्त्रोत माना जाता है। और एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध मे स्पष्ट रूप से बताया गया है। गर्भवस्था के दौरान विटामिन ए शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बड़ाने मे बहुत मददगार होता है। शोध के अनुसार विटामिन ए गर्भवस्था मे पल रहे बच्चे के शरीर के विकाश करने और हड्डियों को मजबूत बनाने और आँखों की रोशनी बड़ाने मे सहायता करता है। इसी कारण गर्भवस्था के दौरान डाक्टर गर्भवती महिला को विटामिन ए युक्त आहार खाने की सलाह दी जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाये विटामिन ए की पूर्ति के लिए आम का सेवन कर सकती है।

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इम्यूनिटी बूस्टर । Increase Immunity

आम विटामिन सी का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है। जो की एक बहुत ही अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। जो शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बड़ाने मे मदद करता है। इसलिए गर्भावस्था मे महिलाओ को आम को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।

मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत । Source of Magnesium

आम के अंदर अन्य तत्वों के साथ मैग्नीशियम भी पाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है, की गर्भवस्था मे मैग्नीशियम की भी आवस्यकता होती है। आम मे मैग्नीशियम पाया जाता है। जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की व्रदधी करने मे सहायता करता है। और ब्लड प्रेससर को नियंत्रण मे रखता है।

मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाए । Provide relief from morning Sickness

गर्भवती महिलाओ को अक्सर गर्भावस्था के दौरान उलटी और जी मचलना की शिकायत रहती है। जिसे हम मॉर्निंग सिकनेस कहते है। और ये गर्भवस्था के हर महिला के साथ होता है। इस समस्या के निजात पाने के लिए चिकित्सक अक्सर विटामिन बी-6 की दवाईया लेने की सलाह देते है, जो की विटामिन बी-6 आम मे पाया जाता है। इसलिए आम के सेवन से गर्भवती महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान उलटी और जी मचलना की समस्या से राहत पा सकती है।

प्रेगनेंसी में आम खाने के नुकसान । Side Effects of Eating Mango While Pregnant In Hindi

  • डायरिया:- अगर व्यक्ति आम का सेवन अधिक मात्रा मे करता है, तो उसे दस्त लगने की संभावना हो सकती है।
  • डायबिटीज:- आम में बहुत अधिक मात्रा मे शुगर पाई जाता है। अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह की शिकायत है, तो इसके सेवन से शुगर का स्तर बड सकता है।
  • वजनबढ़ना:-  आम के अधिक सेवन से आपका वजन भी बड सकता है। क्योंकि आम के अंदर प्रचुर मात्रा मे कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। अधिक कार्बोहाइड्रेट की मात्रा का सेवन करने से वजन बड़ सकता है।
  • खुजली:- आम से एलर्जी होने के कारण स्किन पे खुजली होने की संभावना हो सकती है।
  • रिएकशन:- कृत्रिमरूप से पके आम से रिएकशन हो सकती है, क्योंकि आज कल आमों को क्रत्रिम रूप से पकाया जाता है। जिसमे आमो को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जा रहा है। जिससे गर्भावस्था मे इनेके सेवन से रिएकशन भी हो सकती है। जिससे आपकी तबियत भी खराब हो सकती है। जिसमे जिससे पेट दर्द, सिने मे जलन, उलटी दस्त जैसे शिकायते हो सकती है।
  • इनके अलाव अन्य दुष्प्रभाव हो सकते है, लेकिन ये हर किसी को नहीं होते है। जिसे आमों से एलर्जी होती है, उनको होने की संभावना होती होती है, जैसे अस्थिर मनोदशा, सिर चकराना, सिर दर्द, दौरा, उलझन, सुस्ती हाथों और पैरों में झुनझुनी, मुंह में छाले, पेट में गड़बड़ आदि।

और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है

आम के पोषक तत्व । आम मे कोन से पोषक तत्व पाए जाते है?

अगर हम पोषक तत्वों की बात करे, तो आम मे विटामीन्स, मिनरल्स, फेटीएसिड, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलेट के साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। 100 ग्राम आम मे लगभग 60 किलो केलोरी ऊर्जा पाई जाती है। जो गर्भावस्था के दौरान ऊर्जा की कमी को पूरा करने मे सहायक होती है। इसके अलावा भी कुच्छ आवस्यक तत्व भी आम मे होते है। जो निम्न है-

  • विटामिन सी –4  मिलीग्राम
  • विटामिन ई –9 मिलीग्राम
  • विटामिन के –2 माइक्रोग्राम
  • विटामिन बी-6 119 मिलीग्राम
  • विटामिन ए –54 माइक्रोग्राम

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गर्भावस्था में आम खाने से कब बचें?

अगर हम बात करे आमों को कब खाने से बचना चाहिए। तो कुछ एसी परिस्थितिया है, जिनमे आम खाने से बचना चाहिए, जो निम्न है-

  • कृत्रिम रूप से पकाए हुए फल का सेवन नहीं करे।
  • ज्यादा पके या गले हुए आमों का उपयोग न करे। ज्यादा पके या गले आमों मे कीड़े होने की संभावना होती है।
  • अगर आपको खाने के बाद एलर्जी होती है, जैसे खुजली होना स्किन पे चकते बन जाना आदि तो आमों का उपयोग न करे।
  • अगर आपको किसी कारण से चिकित्सक ने आम खाने से माना किया है, उनके दिए निर्देश का पालन करे। इसलिए आमों का सेवन ना करे।
  • गर्भवस्था मे ज्यादा आमों का सेवन न करे। येसा करने से आपको दस्त भी लग सकते है।
  • अगर आमों के ऊपर ज्यादा दाग धब्बे नजर आए, तो उन आमों का सेवन न करे।
  • ये थे कुछ बिन्दु जिनको ध्यान मे रखकर आमों को आमे आहार मे शामिल करे।

गर्भावस्था में आम को सुरक्षित रूप से खाने के लिए टिप्स । Tips to Eat Mangoes Safely During Pregnancy

अगर हम बात करे की गर्भावस्था मे आम खाने के लिए किन बातों कहा ध्यान रखना चाहिए, जिससे स्वस्थ पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े सके, तो निम्न बिन्दुओ को ध्यान मे रखकर ही आमों को आने आहार मे शामिल करे।

  • फलों को अच्छे से धोए:- जैसे से ही बाजार से फलों को लाए, तुरंत ही उनको अच्छे से धोना चाहिए, ताकि उनपे लगी मिट्टी और केमिकल, और बैक्टीरिया निकाल जाए।
  • आम को छील के खाए:- आमों से छिलके उतार के खाना चाहिए, एसा करने से छिलकों पर लगे विषले पदार्थ और केमिकल और बैक्टीरिया, शरीर मे न जाए।
  • स्वचता बनाए:- आमों को सेवन से पहले अपने हाथों को अच्छे से धोए। और जिन उपयोग मे लाई जा रही वस्तुए जैसे चाकू, प्लेट, मिक्सर जार उनको अच्छे से धोकर ही उपयोग मे जाए।
  • प्रकार्तिक रूप से पके आमों का ही सेवन करे। जिससे कोई नुकसान नहीं होगा।
  • अत्यधिक आमों का सेवन न करे।
  • ये कुछ टिप्स को फालों करे ताकि आपके स्वस्थ को कोई नुकसान नहीं होगा।

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गर्भावस्था के दौरान आम को अपने आहार में कैसे शामिल करें

अगर हम बात करे की कैसे आम को अपने आहार में शामिल करे, तो कुछ टिप्स ,है जिनकी मदद से आमों को अपने आहार मे शामिल कर सकते है। जो निम्न है-

  • आमों को काट छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर स्नैक्स के रूप मे सेवन कर सकते है।
  • आमों का शेक बनाकर सेवन कर सकते है।
  • आमों को स्मूदी बनाकर सेवन कर सकते है।
  • आमों को डेजर्ट के रूप में भी उपयोग कर सकते है।
  • आमों को फ्रूट सलाद के रूप मे उपयोग किया जा सकता है।

गर्भवस्था के दौरान आम खाने के बारे मे पूछे जाने वाले सवाल । Frequently asked Questions about Eating Mangoes During Pregnancy

प्रश्न:- क्या मुझे गर्भावस्था में कच्चे आम का सेवन करना चाहिए?

उत्तर:- जी हाँ गर्भावस्था मे आमों का सेवन करना सुरक्षित है। लेकिन इन्हे अधिक मात्र मे सेवन न करे। एस करने से आपकी तबीयत भी खराब हो सकती है।

प्रश्न:- मुझे कैसे पता चलेगा कि आम प्राकृतिक रूप या कृत्रिम रूप से पका है?

उत्तर:- अगर आम के ऊपरी सतह पर बारीक तरह को सफेद रंग की परत दिखाई देती है, तो वो आम कृत्रिम रूप से पके हुए है।

प्रश्न:- गर्भावस्था में कितने आम का सेवन करें?

उत्तर:- बिल्कुल गर्भावस्था मे आम खाना सुरक्षित होता है। लेकिन सीमित मात्रा मे ही इसे आमने आहार मे शामिल करना चाहिए।

प्रश्न:- क्या मुझे गर्भावस्था में आम का अचार खाना चाहिए?

उत्तर:- वेसे तो गर्भवस्था मे आम खाना सुरक्षित है। लेकिन आचार मे तेल और मसाले मिलाए जाते है। जिनके कारण गर्भावस्था मे आचार खाने से पेट मे एसिडिटी, और आपका ब्लड प्रेसर भी बड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था मे आचार खाने से बचना चाहिए।

प्रश्न:-  क्या गर्भवती खाली पेट आम खा सकती है?

उत्तर:- गर्भावस्था मे आमों का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है। लेकिन खाली पेट आमों का सेवन करने से क्या कोई नुकसान होंगे या नहीं, इस बारे मे कोई प्रमाण मोजूद नहीं है। इसलिए अपने चिकित्सक से परामर्स ले कर ही आमों का सेवन करे।

प्रश्न:-  क्या गर्भावस्था के दौरान मैं रोज आम खा सकती हूं?

उत्तर:- जी, हाँ आप गर्भवस्था मे रोज आमों का सेवन कर सकती है। लेकिन इनका संतुलित मात्रा मे ही सेवन करना चाहिए।

प्रश्न:-  क्या आप गर्भपात का कारण बन सकता है?

उत्तर:- आम से गर्भपात नहीं होता है। लेकिन गर्भपात होने के खतरे को रोकने मे मदद करता है।

प्रश्न:-  क्या गर्भावस्था में अत्याधिक आम खाना नुकसानदायक है?

उत्तर:- जी हां, गर्भावस्था मे अधिक सेवन करने से नुकसान हो सकते है। जिसमे आपको दस्त लग सकते है। आपका पेट खराब हो सकता है।

प्रश्न:-  क्या गर्भावस्था की अंतिम तिमाही के दौरान आम खाना लाभकारी है?

उत्तर:- हां, गर्भावस्था की अंतिम  तिमाही में भ्रूण के विकास के लिए अधिक खून की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति में विटामिन ए अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं इसकी पूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्यों में आम का जिक्र भी शामिल है

प्रश्न:-  गर्भावस्था के दौरान कौन से आम सुरक्षित हैं – पके या कच्चे?

उत्तर:- आप चाहे तो कच्चे आम खाए या फिर पके हुई दोनों ही खाना सुरक्षित है। इनसे कई सारे लाभ होते है, जिनके बारे मे हम ऊपर पड़ चुके है।

प्रश्न:-   क्या गर्भावस्था के आखिरी दिनों में आम खाना सुरक्षित है?

उत्तर:- अंतिम तिमाही मे आमों का सेवन कर सकते है। लेकिन अंतिम तिमाही मे आपको थोड़ी सावधनी रखने की जरूरत होती है।

प्रश्न:-  मुझे कैसे पता चलेगा कि आम पके हुए हैं?

उत्तर:- अगर हम पके हुए आमों की बात करे तो आमों को छूने पर वो थोड़े नर्म लगते है। और आमों मे से अन्नानास और खरबूजे की मिश्रित खुश्बू आती है। जो पके हुये आमों की निसानी होती है।

आसा करते है, की इस लेख को पड़ने के बाद पता चल गया होगा की गर्भावस्था मे आमों का सेवन सेवन करना चाहिए है या नहीं और गर्भावस्था के दौरान आम खाने के फायदे और नुकसान के बारे मे आप जान चुके होंगे। उम्मीद है, आप ये पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको इस पोस्ट से जानकरी प्राप्त हुई होगी अगर आपको कोई सवाल है, तो कॉमेंट जे जरूर से लिखे। और इस पोस्ट को अपने दोस्तों को भी शेयर करे।

और पड़े प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे और नुकसान

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गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान । Honey use During Pregnancy In Hindi https://kumarmedicalcare.com/honey-use-during-pregnancy-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=honey-use-during-pregnancy-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/honey-use-during-pregnancy-in-hindi/#respond Mon, 07 Jun 2021 12:34:59 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=614 आज हम जानेंगे शहद के बारे जिसमे क्या गर्भावस्था के दौरान शहद को खाया जा सकता है? गर्भावस्था मे शहद खाने से क्या फायदे होते ...

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आज हम जानेंगे शहद के बारे जिसमे क्या गर्भावस्था के दौरान शहद को खाया जा सकता है? गर्भावस्था मे शहद खाने से क्या फायदे होते है? और गर्भावस्था मे शहद खाने से क्या नुकसान हो सकते है? शहद को अपने आहार मे कैसे शामिल करे? इसे खाने से पहले किन सावधानियों को ध्यान मे रखना होता है? येसे कई सारे सवाल जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओ के मन मे रहते है। और इनके बारे मे जानकरी नहीं हो पाने से गर्भवती महिलाये शहद नहीं खा पाती है। तो आइए जानेते है। गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान के बारे जो नीचे अलग अलग सेक्सन मे लिखा गया है।

आयुर्वेद में लंबे समय से शहद को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। शहद कई सारी समस्याओ को ठीक करता है। शहद स्वाद मे मीठा लेकिन इसमे पोषण भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। शहद को कई समय तक संग्रहीत करके रखा जा सकता है। यह वर्षों तक खराब नहीं होता है। क्योंकि इसमे सूक्ष्म जीव विकसित ही नहीं हो पाते है। शहद मे एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है।

क्या शहद को गर्भावस्था मे खाया जा सकता है?

अब सवाल यह उठता है, की क्या शहद को गर्भावस्था मे खाया जा सकता है। तो जवाब है, हाँ इसे गर्भवस्था मे खाया जा सकता है। चिकित्सक इसे खाने से मना नहीं करते है। स्टाइलक्रेज के एक लेख मे कहा गया है। इसे गर्भावस्था के दौरान खाया जा सकता है। और इसके अलावा भी एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट में मौजूद एक शोध के अनुसार, शहद में एंटी बैक्टीरियल  और एंटी वाइरल गुण पाए जाते है। जो बैक्टीरिया और वाइरस से होने वाले  प्रभावो को कम करने मे सहायक होता है। जो गर्भावस्था मे होने वाले संक्रमण से राहत दिलाता है। तो आइए जानते है, गर्भावस्था में शहद खाने के फायदो के बारे जो अगले सेक्सन मे लिखे है।

गर्भवस्था में शहद खाने के फायद । Honey During Pregnancy In Hindi:-

प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए मे मदद करे :-

गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करना अच्छा माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट मे मोजूद एक आर्टिकल मे बताया गया है, की शहद मे एंटीऑक्सिडेंट और बैक्टीरियल गुण पाए जाते है। शहद के सेवन से एससीएफए (शार्ट-चेन फैटी एसिड) को के उत्पादन मे मदद करता है। एससीएफए (शार्ट-चेन फैटी एसिड) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे सुधार करके मजबूत बनाने मे मदद कर सकता है। और शोध के अनुसार ये येसा माना जाता है। महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने मे मदद मिल सकती है। जिससे रोगों से लड़ने मे सहायता मिल सकती है। क्योंकि गर्भवती महिलाओ को गर्भावस्था के इस नाजुक समय मे मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की बहुत जरूर होती है। जिससे गर्भ मे पल रहे बच्चे पर कोई भी जटिल प्रभाव न पड़ सके।

सर्दी और खांसी मे राहत दिलाए:-

आयुर्वेद में लंबे समय से शहद को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। जिसमे एक उपयोग सर्दी खांसी से निजात पाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। शहद मे मौजूद एंटीवाइराल प्रभाव होता है। जो वाइरल इन्फेक्शन को ठीक करने मे मदद करता है। सर्दी और खांसी वाइराल इन्फेक्शन के कारण होते है। एनसीबीआई के द्वारा एक जनरल मे कहा गया है, कि छोटे बच्चों मे होने वाली सर्दी खांसी मे शहद के सेवन से राहत मिल सकती है। शहद गर्भावस्था मे वाइरल इन्फेक्शन के करने होने वाली सर्दी खांसी मे राहत दिला सकता है। लेकिन इस पर शोध करने की आवश्यकता है। एक गिलास गुनगुना पानी लें और उसमे शहद और मिला कर के इसे पीएं।

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गले के इंफेक्शन और खराश के लिए:-

अगर किसी व्यक्ति को गले मे खरास की समस्या हो गई है, जो की गले मे इन्फेक्शन होने के कारण हो सकती है। गले मे खरास से राहत दिलाने के लिए शहद का उपयोग किया जाता सकता है। क्योंकि शहद मे एंटीबैक्टीरियल और एंटीवाइराल गुण पाए जाते है। गर्भावस्था मे दवाईयो का उपयोग करना बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। शहद को एंटीबायोटिक दवाओ का सबसे सस्ता विकल्प माना जाता है। इसे गर्भावस्था मे अगर किसी महिला को गले मे खरास की सिकायत है तो शहद के सेवन को दूर किया जा सकता है।

अच्छी नींद के लिए:-

गर्भावस्था के दौरान गर्भवतियों महिलाओ को तनाव और अन्य समस्याओ का सामना करना पड़ता है। जिस कारण महिलाये सो नहीं पाती है। एनसीबीआई कहा गया है। की शहद मे हिप्नोटिक नामक प्रभाव पाया जाता है। जो अनिंद्रा की समस्या को दूर करने मे सहायक होता है। गर्भावस्था के दौरान तनाव और अनिद्रा से पीड़ित महिलाओं के लिए शहद का सेवन करना विशेष रूप से उपयोगी है। यह नींद की गुणवता मे सुधार लाता है। रात को सोने से पहले गर्म दूध के गिलास में एक चम्मच शहद मिला कर पीएं।

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एलर्जी संबंधी समस्याओं के लिए:-

आयुर्वेद के एक लेख मे लिखा गया है, की शहद का उपयोग एलर्जी संबंधी समस्याए जैसे नाक से पानी बहना, स्किन पे चकते बन जाना, स्किन पे खुजली होना, आदि समस्याओ मे राहत पाने के लिए शहद का उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि शहद में एंटीएलर्जीक (एलर्जी को दूर करने वाला) गुण पाए जाते है। शहद मे उपस्थित पोलेन एलर्जीक प्रतिक्रियाओ मे सुधार लाने मे मददगार होता है। गर्भावस्था मे एलर्जी के कारण स्किन पे खुजली और स्किन रेसेस को ठीक किया जा सकता है। एलर्जी मे शहद कितना मददगार है, इस पर अभी शोध की आवश्यकता है।

अल्सर का उपचार करे:-

अध्ययन के अनुसार शहद में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है। जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया कारण होने वाले जठरशोथ (गैस्ट्राइटिस) , पेप्टिक अल्सर के प्रभावों को कुछ हद तक ठीक करने मे मददगार होता है। गर्भावस्था मे गर्भवती महिलाओ को पेट मे गेस होना आम बात होती है। लेकिन गर्भवती महिलाये गेस और गेस्ट्रिक अल्सर से राहत पाने के लिए शहद का सेवन कर सकती है।

ऊर्जा का अच्छा स्रोत:-

गर्भावस्था मे महिलाओ को थकान और कमजोरी का सामना करना पड़ता है। शहद आयरन, विटामिन बी और विटामिन सी और कैल्शियम का अच्छा स्रोत भी है। शहद थकान और कमजोरी को दूर करने मे भी मदद करता है।

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गर्भावस्था में शहद को अपने आहार में कैसे शामिल करें:-

गर्भवती महलाओ के लिए चिंता का विषय बन जाता है, की शहद का इस्तेमाल की कैसे किया जाता है। इस कारण से भी कुछ महिलाये शहद का उपयोग नहीं कर पाती है।  इसलिए आइए जानते है। गर्भावस्था मे शहद को अपने आहार मे कैसे शामिल करे।

  • पानी को गुनगुना करके उसमे शहद को मिलाकर पी सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाये चाहे तो शहद को सीधे भी खाया जा सकता है।
  • शहद को रोटी मे लगाकर भी खाया जा सकता है।
  • गर्म दूध के साथ शहद मिलाकर पी सकते हैं।
  • ओट्स में शहद मिलाकर खाया जा सकता है।

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गर्भावस्था में शहद खाने के नुकसान । Side Effects of Eating Honey While Pregnant In Hindi

गर्भावस्था में शहद खाने के फायदे होते हैं, लेकिन शहद कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। क्या हैं गर्भवती महलाओ को शहद खाने के क्या नुकसान होते है, हम इस सेक्सन पड़ेंगे-

  • अगर किसी गर्भवती महिला को मधुमेह (डायबिटीज) की शिकायत है। तो उस महिला को शहद नहीं खाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि मधुमेह (डायबिटीज) मे शहद खाने से शुगर का लेवल बड़ सकता है।
  • गर्भवती महिलाओ को गैस, पेट फूलने जैसी समस्या हो सकती है। क्योंकि इसमे फ्रुक्टोज मौजूद होता है। गैस, पेट फूलने जैसी समस्ये उत्पन्न कर सकता है।
  • ज्यादा शहद खाने से दांतों में सड़न हो सकती है।
  • कुछ दवाओं के साथ सेवन करने से उसके साइड इफेक्टस मे व्रदधी हो सकती है।
  • ब्लड क्लॉटिंग की दवाओं के साथ शहद का सेवन करने से रक्तस्राव का खतरा रहता है।

आज हमने इस ब्लॉग Kumar Medical Care मे जाना गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान के बारे। और शहद को कैसे अपने आहार मे शामिल किया जाता है । इसके बारे, आसा करता हूँ की आपको इस आर्टिकल से जानकरी मिली होगी। और आपको अगर ये पोस्ट अच्छी लगी होगी। इस पोस्ट को अपने दोस्तों को भी शेयर करे और आपको कोई सवाल है, तो नीचे कॉमेंट मे जरूर से लिखे।

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गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे । Benefits of Eating Cucumber During Pregnancy In Hindi https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-cucumber-during-pregnancy-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=benefits-of-eating-cucumber-during-pregnancy-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/benefits-of-eating-cucumber-during-pregnancy-in-hindi/#respond Sat, 05 Jun 2021 12:31:47 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=610 खीरा सभी को पसंद आती है। यह गर्मी के मोसम मे आती है। इसे सलाद के रूप मे उपयोग किया जाता है। और लोग इसे ...

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खीरा सभी को पसंद आती है। यह गर्मी के मोसम मे आती है। इसे सलाद के रूप मे उपयोग किया जाता है। और लोग इसे अन्य तरीके से भी उपयोग करते है। क्योंकि खीरा मे पोषक तत्व अनैक मात्र मे पाए जाते है। जो शरीर मे कई सारे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने मे मदद करती है। और गर्भवती महिलाओ के मन मे हमेसा यह सवाल रहता है, की क्या खीर को गर्भावस्था मे खाया जा सकता है। जी हा गर्भावस्था के दौरान खीरा का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इसमे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। तो चलिए जानते है, इस ब्लॉग Kumar Medical Care मे खीरा के फ़ायदों के बारे मे जो नीच लिखे गए है।  

गर्भावस्था मे खीरा खाने के फायदे Benefits of Eating Cucumber During Pregnancy In Hindi:-

वजन को नियंत्रित करने में मदद करे:-

खीरा मे पानी भरपूर मात्र मे होता है। और इसमे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। गर्भावस्था मे जिस महिला को मोटापा अधिक है। तो यह वजन को नियंत्रित करने के लिए उपयोग मे लाई जाती है। और इसमे केलोरी कम मात्रा मे पाई जाती है। जिससे यह वजन को बडने नहीं देती है। इसलिए जिन महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान को मोटापा है, तो उन्हे खीरा का उपयोग करना चाहिए

डिहाइड्रेशन से बचाए:-

खीरा मे 95% पानी की  मात्र पाई जाती है। जिससे शरीर मे मानी को कमी को दूर करती हैं। गर्भावस्था मे डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खीर का उपयोग करना चाहिये।

त्वचा का रखे ख्याल:-  

विशेषज्ञों के का कहना है, की खीरे में मॉइस्चराइजिंग और एंटीइन्फ्लामेट्री तत्व पाए जाते है। जो त्वचा की सूजन, चलन, और चुभव से राहत दिलाती है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को खुजली, जलन, और चुभव का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति मे खीरा को काट कर सीधे जलन, खुजली और चुभव वाली जगह पर लगाने से बहुत राहत मिलती है। और इससे त्वचा को ठंडक मिलती है। [और पड़े त्वचा की डिसिज सोरायसिस के बारे ]

हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी:-

एक सोध से पता लगाया गया है, की खीरा खाने से रक्त का PH स्तर सुधारता हैं। जिससे बड़े हुए ब्लड प्रेसर को काम करने मे मदद मिलती है। और खीरा खाने से हार्ट को स्वस्थ बनाने मे भी मदद करती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान खीरा खाना फायदेमंद है। क्योंकि हार्ट से संबंधित समस्याओमे राहत पाने के लिए खीरा का सेवन किया जा सकता है।

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कब्ज से राहत दिलाए:-

खीरा मल को ढीला करने का कार्य करता है। और विशेषज्ञों का कहना है, की खीरे में लैक्सेटिव गुण पाया जाता है, जो कब्ज की शिकायत को दूर करने मे मदद करता है।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:-

खीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बदने मे भी मदद करती है। खीरे मे आंतों में रक्त संचार को बढ़ावा देने वाला गुण पाया जाता है। जिससे इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाले कारणों को नष्ट करने का काम कर सकता है। ]

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पोषक तत्वों के लिए:-

गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खीरा एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। क्योंईकी खीर मे आयरन, कैल्शियम, फोलेट, फॉस्फोरस, जिंक और विटामिन-ए आदि तत्व पाये जाते है। जो गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी को दूर करने करने मे मदद मिल सकती है।

हड्डियों के लिए उपयोगी :-

खीरा मे एलकेलाईं गुण पाया जता है। जो शरीर मे Ph के स्तर को ठीक करने का कार्य करता है। और शरीर मे ph स्तर असामान्य होने से हड्डीया कमजोर होने लगती है। इसलिए खीरा मे एल्कलाइन गुण होने के कारण हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।

गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के यह कुछ फायदे है। जो आज इस पोस्ट मे पड़े। आसा करता हु आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लागि है। तो अपने दोस्तों को भी शेयर करे।

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जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तो उन्हे प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है? वह टीके कोन से होते है? और जब टीके लगाए जाते है, तो उनके बीच क्या अंतर होना चाहिए? महिलाओ को कितने टीके लगाने चाहिए? और महिला इन टीकों को नहीं लगवाये तो क्या समस्या हो सकती है? ये सारी बातों को हम इस ब्लॉग मे समझेंगे।

प्रेग्नेंसी मे पहला टीका कोन सा होता है?

प्रेग्नेंसी के दौरान Tetanus Toxoid का टीका महिलाओ को लज्ञ जाता है। जिसे हम सभी T T का टीका कहते है। ये वही इन्जेक्शन है, जो चोट लगने पर डाक्टर के द्वारा लगाया जाता है इस इन्जेक्शन को प्रेग्नेंट महिला को इसलिए लगाया जाता है, की महिला और बच्चे को Tetanus होने से बचाया जा सके।

Tetanus toxoid का टीका महिला को कितने लगाए जाते है और कितने अंतराल से लगाए जाते है?

अगर कोई महिला है, जिसको प्रेग्नेंसी होने से पहले आज तक एक भी टीका नहीं लगा है, तो उसे प्रेग्नेंसी के दौरान टोटल तीन टिटेनस टीके लगाए जाएंगे ।

अगर कोई महिला है, जिसे आज से पहले TT का टीका लग हुआ है, तो उसे प्रेग्नेंसी क दौरान दो टीके लगाए जाएंगे ।

अगर कोई महिला है, जिसे तीन सालों मे पहले किसी कारण से दो टीके लगे हो, तो उस महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान एक ही TT का टीका लगाया जाएगा।

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अगर बात करे यदि किसी महिला को TT के तीन टीके लगाने है तो किस तरह से लगाएंगे?

  • पहल TT का टीका जो, वो अर्ली प्रेग्नेंसी जिसे हम 1 महिने से लगाकर 3 महिने की प्रेग्नेंसी कहते है, तो इस दौरान पहला टीका लगाया जाता है,
  • दूसरा TT का जो टीका है, उसे पहले टीके से 1 महीने का गेप रखना होता है और जब पहला टीका लगने से 7वे महीने तक कभी भी लगाया जा सकता है।
  • अगर हम बात करे की किसी महिला को TT के तीन टीके लगवाने है, तो कैसे लगायेगे जैसे की बताया जो पहला TT का टीका होता है, उसे अर्ली प्रेग्नेंसी मे जैसे 1 महीने 1 से लगाकर 3 महीने के बीच मे और जो दूसरा TT का टीका है, वो पहले टीके से 1 महीने का अंतराल रखना होता है और जो तीसरा टीका होता है उसमे भी जो दूसरा टीका लगा है, उससे 1 महीने का अंतराल रखना होता है और इस तरह से तीनों टीके लगाने होते है और ये सभी टीके लगभग 7वे महीने तक पूरे कर देने चाहिए।
  • अगर कोई महिला है जिसे 1 ही TT का टीका है उसे कैसे लगाएंगे तो उस महिला को अर्ली प्रेग्नेंसी मे लगाया जाता है और फिर भी भूल जाए तो 7 वे महीने से पहले कभी भी लगा सकते है और इस प्रकार प्रेग्नेंट महिला को TT के टीके लगाए जाते है।
  • अगर कोई महिला है, जिसे 8वा और 9वा महिना हो गया है और आज तक कोई भी टीका नहीं लगा है। तो क्या करना चाहिए जब भी ध्यान मे आए की हमने कोई भी टीका नहीं लगवाया है, तो वो जल्द ही अपने पास के अस्पताल जाए और अपने डाक्टर से मिले और TT का टीका लगवाए और TT से बचा जाए।
  • अगर कोई महिला है TT कस टीका लगवाना बिल्कुल भी भूल गई है और उसकी डिलेवरी भी हो गई है, तो उसे क्या करना चाहिए? इस कन्डिशन मे तो नहीं देखा गया है। उस समय माँ और बच्चे को टिटेनस का खतरा हो सकता है और ये बहुत ही खतरनाक बीमारी है। यह बीमारी व्यक्ति की जान भी ले सकती है। इस बीमारी से बचाव के लिए ही ये TT के टीके लगाए जाते है। जिससे की माँ और बच्चे को कोई खतरा ना हो।

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जो टीके प्रेग्नेंसी के दौरान लगाए जाते है वो TT के ही होते है और इन्हे जरूर से लगवाना चाहिए और ये टीके सरकारी अस्पतालों मे बिल्कुल ही फ्री मे लगाए जाते है और ये बहुत ही सस्ते टीके होते है। आप चाहे तो अपने एरीये मे भी लगवा सकते है।

आज हमने जाना प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है? वह टीके कोन से होते है? और जब टीके लगाए जाते है, तो उनके बीच क्या अंतर होना चाहिए? महिलाओ को कितने टीके लगाने चाहिए? और महिला इन टीकों को नहीं लगवाये तो क्या समस्या हो सकती है? इन सभी बातों के बारे मे जाना जो आपको पसंद आया होगा और इस जानकारी को सभी के साथ शेयर जरूर से कीजिए ताकि सभी के काम आ सके।

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गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण https://kumarmedicalcare.com/symptoms-that-appear-during-pregnancy/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=symptoms-that-appear-during-pregnancy https://kumarmedicalcare.com/symptoms-that-appear-during-pregnancy/#respond Tue, 13 Apr 2021 13:35:56 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=294 गर्भावस्था के दौरान कुछ एसे लक्षण उत्पन्न होते हे, जोकि बहुत खतरनाक हो सकते है। जिनसे महिला की तबियत गंभीर भी हो सकती है। इसलिए ...

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गर्भावस्था के दौरान कुछ एसे लक्षण उत्पन्न होते हे, जोकि बहुत खतरनाक हो सकते है। जिनसे महिला की तबियत गंभीर भी हो सकती है। इसलिए यैसे लक्षण अगर आपको दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से परामर्स जरूर ले, जिससे सही उपचार दिया जा सके। तो आइए जानते है, गर्भावस्था के दोरान प्रकट होने वाले खतरनाक लक्षण जो की निम्न प्रकार के है-

बुखार हो जाना(Fever):

गर्भावस्था के दौरान बुखार भी हो सकता है। अगर किसी महिला को गर्भावस्था मे बुखार आ गया है तो डॉक्टर को जरूर दिखाए खुद से कभी भी कोई दवाई ना ले, क्योंकि ये बहुत खतरनाक हो सकता है। एसा करना माँ और बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर गर्भावस्था मे बुखार हो, तो नजदीक अस्पताल मे जरूर अपने डॉक्टर से परामर्स ले।

योनि से रक्त बहना (Vaginal bleeding):-

गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला को योनि से रक्त बहने की सिकायत होती है, तो ये बहुत खतरनाक हो सकता है। एसी स्थिति होती है, तो जरूर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जिससे की मरीज को प्रॉपर ट्रीटमेंट दिया जा सके। जिससे माँ और बच्चे को कोई परेसनी ना हो।

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पेट मे दर्द होना या स्पर्सकारिता हो जाना (Abdominal Pain):-

गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट मे दर्द या दर्द का बना रहना एसी शिकायत रहती है। और ये शिकायत हर महिला को होती है। लेकिन अगर ये शिकायत अधिक बाद जाए तो, यह बहुत नुकसानदायक लक्षण है। अगर एसा होता है, तो जरूर से अपने डॉक्टर को दिखाए और अपना उपचार कराए।

चेहरे, हाथों और पेरो मे सूजन आना (Swelling of face, hands and feet) :-

गर्भावस्था के दौरान किसी किसी महिला को चेहरे और हाथ पेरो मे सूजन जाती है या हाथ पेरो flued इकट्टा हो जाता है। एसा होना महिला के लिए गंभीर हो सकता है इसलिए आप नजदीक के अस्पताल जाकर अपना चेकअप कराए जिससे सही उपचार दिया जा सके।

त्वचा के समान रूप रंग मे कमी (Skin uniform color reduction):-

गर्भावस्था के दौरान त्वचा के रंग मे कमी होना आम बात है। लेकिन कुछ लक्षण बहुत खतरनाक हो सकते है। जिससे त्वचा का रंग लाल हो सकता है और त्वचा का रंग नीला भी पड सकता है गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को सोरायसिस होने की संभावना बहुत अधिक होती है जो एक स्किन की बीमारी है। अगर येसे कुछ लक्षण दिखाई देते है, तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले और उपचार कराए।

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सिर मे बहुत अधिक दर्द होना (Headache):-

अगर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को सिर मे दर्द या माइग्रेन की शिकायत रहती है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाए अपने खुद से कोई pain killer टेबलेट ना ले, एसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है इसलिए अपने डॉक्टर से मिले और प्रापर उपचार ले।

चक्कर आना (Dizziness) :-

अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान चक्कर आते है, ये तो BP कम होने के लक्षण हो सकते है और हो सकता है, की महिला को शारीरक कमजोरी होने के कारण भी चक्कर आ सकते है। अगर येसा होता है, तो डॉक्टर को दिखाए और प्रॉपर ट्रीटमेंट ले।

धुंधला दिखाई देना (Blurry vision):-

अगर किसी महिला को धुंधला दिखाई देता है या टिक से नहीं दिखाई नहीं देता है तो शारीरक कमजोरी या खून की कमी के लक्षण हो सकते है इसलिए लापरवाही ना करे जरूर से डॉक्टर को दिखाए।

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शरीर मे कमजोरी (Weakness):-

गर्भावस्था मे महिलाओ को स्वस्थ रहना बेहद जरूरी होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को मतली और उलटी का सामना करना पड़ता है। जिस करना से महिलाए ठीक से खाना नहीं खा पाती है और खाना नहीं खाने से गर्भवती महिलाओ के शरीर मे कमजोरी का सामना करना पड़ता है। जो मा और बच्चे के स्वस्थ के लिए ठीक नहीं होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को जो अच्छा लगे वो खाए और अपने आप को शवस्थ रखे।

एनिमिया की शिकायत रहना (Anemia):-

माशिक धर्म चक्र के कारण महिलाओ मे अक्सर खून की कमी रहती ही है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओ मे खून की कमी रहना महिला के लिए नुकशानदायक है। एनीमिया के करना महिलाओ मे कमजोरी रहना, चक्कर आना, जैसे लक्षण होते है। इसलिए देरी न करे नकदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर से परामर्स आवश्य ले।

ऊपर दिए गए लक्षणों मे से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो अतिसीग्र पास के मेटरनिटी चिकित्सालय जाकर डॉक्टर को दिखाए जिससे माँ और बच्चे दोनों को कोई नुकशान न हो सके। आज हमने जाना गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षणो के बारे मे। अगर आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लगी है, तो अपने सभी दोस्तों को शेयर जरूर करे।

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