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]]>तरबूज मे 92% पानी, प्रोटीन, वसा भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। और इनके अलावा भी तरबूज मे विटामिन-ए, विटामिन सी,विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, जिंक, कैल्शियम भी पाया जाता है। जो गर्भवती महिला और उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे के के विकास के लिए बहुत ही फायदेमंद होते है। इसलिए संतुलित मात्रा मे तरजूब का सेवन करने से गर्भवती महिला और बच्चे के के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और डायटीशियन डाक्टर भी प्रोटीन विटामिन और कार्बोहाईड्रेट के संतुलित मात्रा मे तरबूज का सेवन करने की सलाह देते है।
अगर हम बात करे की, किस तरह तरबूज गर्भवती महिला के लिए लाभदायक है। तो तरबूज मे पानी अधिक मात्रा मे पाया जाता है, गर्भावस्था मे पानी की कमी को दूर करता है, इसमे सूजन को कम करने वाला गुण पाया है। स्किन को चमकदार बनाता है, इसमे मिनरल पाए जाता है। तरबूज कब्ज को ठीक करता है। और रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करने का कार्य करता है। इस तरह के अनैक तरबूज के फायदे होते है। जो हम नीचे पड़ेंगे।
अगर हम पोषक तत्वों की बात करे तो तरबूज मे अनैक लाभदायक पोषक तत्व पाए जाते है, जो गर्भवस्था मे महिला तथा गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकास मे सहायक होते है। जो निम्न प्रकार के है-
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गर्भावस्था मे महिलाओ को थकान, और सुस्ती होती है, जो की डिहाइड्रेशन(पानी की कमी) होने के कारण होती है, गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओ को शरीर मे अक्सर पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाये शरीर मे पानी की कमी को दूर करने के लिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल कर सकती है। क्योंकि तरबूज मे 90% पानी पाया जाता है। जो की इस स्थिति मे डिहाइड्रेशन को खत्म करने मे मदद करता है।
गर्भवती महिलाओ को अक्सर गर्भावस्था के दौरान मतली(जी मचलान) और उल्टी होती है। और यह दिन मे कभी भी हो सकती है। जो गर्भवती महिलाओ को के लिए बड़ी समस्या बन जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओ को सुबह सुबह तरबूज का सेवन करना चाहिए या तरबूज का जूस पीना चाहिये। क्योंकि तरबूज मे विटामिन बी6 पाया जाता है। जो उलटी और मतली से राहत दिलाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को उलटी और जी मचलाने से राहत पाने के लिए अपने आहार मे तरबूज को भी शामिल करना चाहिए।
तरबूज शरीर को डिटॉक्स करने मे भी मदद करता है। क्योंकि तरबूज मे डाइयुरेटिक गुण भी पाया जाता है। जो शरीर से विशेले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को तरबूज को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए। क्योंकि तरबूज मे विषेले पदार्थ बाहर निकालने वाला गुण होने के कारण शरीर से विषेले तत्व बाहर निकाल जाने से स्किन मे रोजक आती है। और किडनी और लिवर भी ठीक से कार्य करने लगते है।
तरबूज मे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बड़ाने वाले गुण पाए जाते है। इस पर एक शोध भी की गई है। एक्सपेरिमेंटल एंड एनिमल साइंस द्वारा इस पर शोध किया गए है। और कहा गए है। की तरबूज मे रोग प्रतिरोशक क्षमता को बड़ाने वाला गुण लाइकोपेन (Lycopene) पाया जाता है। जो की एक एंटीऑक्सीडेंट है। जो शरीर मे रोगप्रतिरोधिक क्षमता को बड़ाने मे मदद करता है। इस आधार पर कह सकते है, की गर्भावस्था मे रोगप्रतिरोशक क्षमता को मजूबत बनाने के लिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल जरूर करना चाहिए।
तरबूज मे एसिडिटी को कम करने का गुण पाया जाता है। और गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अपच के कारण एसिडिटी की समस्या होती रही है। जिस कारण महिलाओ को सिने मे जलन की शिकायत होती रहती है। गर्भवस्था के दौरान एसिडिटी को काम करने के लिए महिलाये तरबूज का उपयोग कर सकती है। क्योंकि तरबूज मे एसिड को कम करने का गुण होता है। जिससे एसिडिटी से राहत मिलती है।
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तरबूज में एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) गुण मौजूद होता है। जो सूजन को कम करने मे बहुत मदद करता है। और गर्भवस्था के दौरान अक्सर महिलाओ को सूजन का सामना करना पड़ता है। जिसे हम एडिमा कहते है। इसलिए महिलाओ के पेरो मे सूजन ना हो इसलिए तरबूज को अपने आहार मे शामिल कर सकती है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान 80% महिलाओ को हाथ पेरो मे सूजन आने की संभावना देखी गई है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अक्सर मांसपेशियों मे दर्द का सामना करना पड़ता है। जो मिनरल्स और विटामिन्स की कमी के करना होता है। तरबूज मे मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन बी और विटामिन सी आदि भरपूर मात्रा मे पाए जाते है। और विशेषज्ञों के अनुसार गर्भावस्था के तरबूज के सेवन से मांसपेशियों की ऐंठन को काम किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओ के शरीर मे होने वाले बदलाओ के कारण गर्भवती महिलाओ की स्किन के रंग मे भी बदलाव आने लगते है। और त्वचा के रंग मे बदलाव हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा का रंग गहरा होना) के कारण होता है। इस बदलाव को नियंत्रित करने के लिए महिलाओ को तरबूज का सेवन करना चाहिए क्योंकि तरबूज मे विटामिन सी पाया जाता है। जो हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा का रंग गहरा होना) के प्रभाव को कम करने मे मदद करता है। जिससे त्वचा की रंग और रंगत मे सुधार आता है। इस लिहाज से ये कह सकते है, की गर्भावस्था मे बदलाव के कारण त्वचा के रंग और रंगत को ठीक करने के लिए तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल जरूर करना चाहिए।
तरबूज मे पानी 90% पाया जाता है। और इसने फाइबर भी अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो पाचन की क्रिया को ठीक करने मे लाभदायक होता है। और एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक पेज मे बताया गया है, की तरबूज मे पानी और फाइबर की अच्छी मात्रा उपलब्ध होने से कारण यह पाचन प्रक्रिया को ठीक करने मे बहुत मदद करता है। और डाक्टर भी पेट की समस्याओ मे फाईबर युक्त भोजन लेने की सलाह देते है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओ के शरीर मे अनैक तरह के बदलाव होते है। जैसे शारीरक बदलाव और हार्मोनल बदलाव इन बदलाव के कारण महिलाओ के मूत्र मार्ग मे संक्रमण की समस्या हो सकती है। इस स्थित मे गर्भवती महिलाओ को तरबूज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि तरबूज मे एंटीबेक्टरियाल गुण पाया जाता है। जो मूत्र मार्ग के संक्रमण में फायदेमंद होता है। और तरबूज किडनी की कार्य क्षमता को बड़ाने मे भी मदद करता है।
गर्भवती महिलाओ के गर्भ पे पल रहे भ्रूण की हड्डियों के विकास के लिये फोस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम की आवस्यकता होती है। ये सभी तत्व भ्रूण की हड्डियों निर्माण मे सहायता करते है। इसके अलावा महिला की हाड़ियों को भी मजबूत बनाते है। ये तत्व तरबूज मे पाए जाते है। इस कारण कह सकते है, की गर्भावस्था के दौरान तरबूज खाना भ्रूण की हड्डियों के विकास के लिए लिए लाभदायक है।
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गर्भवस्था के दौरान तरबूज संतुलित मात्रा मे खाने से लाभ होते है। लेकिन तरबूज को अधिक मात्रा मे सेवन करने से आपको हानिया भी पहुच सकती है। जो निम्न है-
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अगर हम बात करे की किस तरह हम तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल कर सकते है। तो कुछ इन तरीकों से आप तरबूज को अपनी डाइट मे शामिल कर सकती हो।
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तरबूज का सेवन करने से पहले कुछ सावधनियों को भी ध्यान मे रखना होता है। जो निम्न लिखित है-
और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण
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]]>अक्सर गर्भवती महिलाओ के मन मे ये सवाल रहता है, की क्या गर्भावस्था के दौरान अंगूर खाना सुरक्षित है, जी हाँ गर्भवस्था के दौरान अंगूर का सेवन कर सकते है। और रिसर्च के अनुसार एक पेपर मे लिखा है, की गर्भावस्था के दौरान फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन, आयरन, फोलिक एसिड आदि की आवश्यकता होती है। जो की अंगूर मे ये सारे तत्व भरपूर मात्र मे पाए जाते है। जो गर्भवती महिला के गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकास मे मददगार होते है। और अंगूर गर्भवती महिला को भी अनैक तरह के से लाभदायक होता है। जैसे अंगूर मे मैग्नीशियम पाया जाता है, जो माँस पेसियों के दर्द से राहत दिलाता है। खून की कमी को दूर करता है, कब्ज की समस्या से छूटकरा दिलाता है, हार्ट के लिए लाभदायक होता है, शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बड़ाता है। इनके अलाव भी अनैक तरह से लाभकारी होता है। जो हम नीचे विस्तार से पड़ेंगे।
अंगूर पोषकता से भरपूर होता है। लेकिन हम अगर बात करे की इसमे कोन-कोन से पोषक तत्व पाए जाते है। तो जिसमे ये कुछ पोषक तत्व पाए जाते है जो निम्न है-
अगर हम बात करे की गर्भावस्था के दौरान एक दिन में कितने अंगूर खाने चाहिए ये सवाल हर महिला के मन मे होता है। गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्र मे ही अंगूर का सेवन करना चाहिए। डायटीशियन के अनुसार लगभग 16 अंगूर के दाने अपने आहार मे शामिल करने की सलाह देते है। जिसमे आप 16 अंगूर के दाने सुबह और 16 अंगूर के दाने शाम को खा सकते है। गर्भवस्था मे अंगूर खाना सुरक्षित है। लेकिन अपने चिकित्सक से सलाह जरूर से ले।
गर्भावस्था के दौरान फलों के सेवन से बहुत सारे फायदे मिलते है। जिसने अंगूर की बात करे जिसमे फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन, आयरन, फोलिक एसिड आदि भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। जो गर्भवस्था मे महिला और गर्भ मे पल रहे बच्चे के लिए लाभदायक होते है। अंगूर के फ़ायदों के बारे मे इस सेक्सन मे हम जानेंगे जो निम्न है-
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओ को पाचन से संबंधित समस्याओ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अंगूर जो की मे फाइबर भरपर मात्र मे पाया जाता है। जो पेट मे कब्ज से राहत दिलाने मे मदद करता है। शरीर मे मेटबॉलिज़्म क्रिया को बड़ाता है। अगुर के सेवन से गर्भवस्था मे कब्ज की समस्या से छुटकार पाने मे मदद मिल सकती है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को अंगूर को अपने आहार मे जरूर शामिल करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को स्ट्रॉंग बनाए रखने की आवश्यकता होती है। जो की अंगूर मे विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते है। जिससे गर्भावस्था के दौरान अंगूर के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने मे मदद मिलती है। जिससे गर्भावस्था के दौरान सर्दी, खांसी, जुखाम, फ्लू, जैसे इन्फेक्शन आदि होने के खतरे से बचने मे मदद मिलती है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को अंगूर को अपने आहार मे शामिल कर सकती है।
और पड़े प्रेगनेंसी में तरबूज खाना के फायदे और नुकसान
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओ को खून की कमी का सामना करना पड़ता है। येसे मे महिला और गर्भ मे पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है। इस समस्या को मे अगुर का सेवन करना अभूत फायदेमंद होगा क्योंकि अंगूर मे आयरन और एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो खून की कमी को दूर करने मे सहायक होते है। जो शरीर मे हीमोग्लोबिन की मात्रा को बड़ाने मे बहुत मदद करते है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को अगुर को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।
अंगूर के सेवन से लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने मे मदद मिलती है। क्योंकि अंगूर मे फ्लेवनोइड, फिनोलिक एसिड और रेस्वेराट्रोल मोजूद होते है। जो लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सामान्य बनाने मे मदद करते है। जिससे ब्लड प्रेसर सामान्य बना रहे। इसलिए गर्भवती महिलाओ को अपने आहार मे अगुर को जरूर शामिल करना चाहिए।
गर्भावस्था मे महिलाओ को जोड़ों के दर्द, और जोड़ों मे सुजन आदि समस्याये होती है, जिसे हम अर्थराइटिस कहते है। गर्भावस्था के दौरान इस अंगूर के सेवन से इस समस्या मे राहत मिल सकती है। क्योंकि अंगूर मे एंटीइन्फ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। अंगूर मे पॉलीफेनॉल्स नामक तत्व पाया जाता है। जो सूजन को कम करने का कार्य करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाये दर्द और सूजन की समस्या से निजात पाने के लिए अंगूर को अपने आहार मे शामिल कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले थकान और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या को दूर करने के लिए अंगूर बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमे पाया जाने वाला कार्बोहाईड्रेट जो शरीर मे होने वाली थकान को दूर करता है और अंगूर मे उपस्थित फिनोलिक यौगिक ऑक्सीडेटिव मांसपेशियों पर लगने वाले तनाव को कम करने मे मदद करता है। जिससे होने वाली मांसपेशियों की ऐंठन को दूर किया जा सकता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओ को थकान और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या को दूर करने ले लिए अंगूर को अपनी डाइट मे शामिल जरूर से करना चाहिए।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में प्रसव के दौरान खून के थक्के जमने की समस्या देखी जाती है। अंगूर मे एंटीकोगुलेंट (खून को पतला करने वाला) प्रभाव भी पाया जाता है। जो खून को जमने या गाढ़ा होने से रोकता है। एसी स्थिति को ठीक करने के लिए गर्भवती महिलाओ को अपनी डाइट मे अंगूर को शामिल करना करना चाहिए।
अंगूर मे कैल्शियम इनेमल पाया जाता है। जो दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाने मे मदद करता है। और एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव भी मोजूद होता है। जो दांतों मे जमने वाली केविटी को दूर करता है। और मुंह को स्वास्थ्य बनाने मे सहायता करता है। इसलिए येसा कहना गलत नहीं होगा की, गर्भवती महिलाओ को अपने मुह और दांतों को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अंगूर का सेवन करना चाहिए।
अंगूर मे 80.54g पानी पाया जाता है। जो प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली पानी की कमी को दूर करने मे बहुत मददगार साबित होगा। इसलिए गर्भवती महिलाये को अंगूर को अपनी डाइट मे शामिल करके शरीर मे पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।
अगर गर्भवस्था के दौरान महिला को अस्थमा की शिकायत है, तो अंगूर का सेवन कर अस्थमा मे कुछ राहत मिल सकती है। क्योंकि अंगूर में रेस्वेराट्रोल (resveratrol) नाम का पॉलीफेनोल पाया जाता है। इस रेस्वेराट्रोल (resveratrol) पॉलीफेनोल मे एंटी इंफलमेंट्री गुण मोजूद होता है। जो अस्थमा के कारण फेफड़ों मे होने वाले सूजन को काम करने मे मदद करता है। एक शोध मे जिक्र मिलता है, की अंगूर के बीजों के अर्क से अस्थमा मे राहत मिलतीं है। इसलिए येसा कहा जा सकता है, की अगर गर्भवस्था के दौरान किसी महिला को अस्थमा की शिकायत है, तो अंगूर का सेवन करके कुछ राहत पा सकती है।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे
अगर हम बात करे की अंगूर के सेवन से गर्भ मे पल रहे बच्चे को क्या फायदा होगा तो निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम गर्भ मे पल रहे भ्रूण के विकास के लिए अंगूर के फायदों के बारे में जान सकते हैं।
और पड़े गर्भावस्था में आम खाने के फायदे और नुकसान
गर्भावस्था के दौरान अंगूर के सेवन से गर्भवती महिला को और उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे को फायदे होते है। लेकिन अंगूर अधिक मात्र मे सेवन करने से आपको नुकशान भी हो सकते है। जो की इस प्रकार के है-
और पड़े गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान
अब सवाल ये उठता है, गर्भावस्था के दौरान अंगूर को आहार में कैसे शामिल करे। क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत सतर्कता रखनी पड़ती है। तो अंगूर को अपने आहार मे शामिल करने के लिए निम्न तरीकों को अपनाया जा सकता है:
गर्भावस्था मे अंगूर बहुत ही फायदेमंद होता है, जो आपको बहुत सारे लाभ पहुचाता है। लेकिन कुछ परिस्थितिया यैसी होती है, जिनमे अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए। जो निम्न लिखित है-
और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है।
उत्तर:- गर्भवती महिला अंगूर को खाली पेट खाए या नहीं, इस बारे मे कुछ कह नहीं सकते है। क्योंकि इस बारे मे कोई अध्ययन नहीं हुआ है।
उत्तर:- सीमित मात्रा में गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन अंगूर का सेवन कर सकते हैं। इनसे कोई नुकसान नहीं होगा।
उत्तर:- जिन महिलाओ को महुमह की शिकायत है, उनको अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए। अन्यथा आपका शुगर लेवल बड़ सकता है।
उत्तर:- वेसे तो अंगूर सीधे ही खाए जाते है। लेकिन इस बात की जानकरी नहीं है
उत्तर:- अंगूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकायत है, तो आप अंगूर का सेवन न करे। इनके सेवन से शुगर का स्तर बड़ सकता है।
उत्तर:- गर्भावस्था के दौरान किशमिश का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है। लेकिन किसमिश को अधिक मात्रा मे सेवन नहीं करे।
उत्तर:- हरे अंगूर और काले अंगूर दोनों के स्वास्थ्य लाभ लगभग समान ही हैं, लेकिन विसेसज्ञों के अनुसार काले अगूरों मे एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा मे पाए जाते है।
आसा करता हु आपको हमरी इस पोस्ट मे गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान के बारे मे जानकारी मिली होगी और उममित है आपको ये पोस्ट अच्छी लागि होगी। अगर आपका कोई सवाल है, तो नीचे कॉमेंट मे जरूर लिखे और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।
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]]>जी हाँ गर्भवस्था के दौरान आम खाना बिल्कुल सुरक्षित है। क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार आम के आंदर एनर्जी, प्रोटीन, फैटी एसिड, फोलेट, कैल्शियम, आयरन के साथ विटामिन ए जैसे कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है, जो गर्भवस्था के दौरान भ्रूण के विकाश के लिए आवस्यक होते है।
पोषकता से भरपूर आम और इसमे कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है। जैसे वितमीन्स, मिनरल्स, फेटीएसिड, नियासिन, फोलेट के साथ कैल्शियम, थियामिन, राइबोफ्लेविन मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। जो गर्भावस्था मे गर्भवती महिला को इनकी आवस्तकता होती है। जो की आमों मे भरपूर मात्र मे पाए जाते है। गर्भवस्था मे इनके सेवन से कई सारे लाभ होते है। जो महिलाओ को उलटी और जी मचलाने की समस्या से राहत दिलाता है, और पाचन क्रिया को ठीक करता है। आमों के सेवन से एनीमिया की समस्या मे लाभ मिलता है और इनके अलावा और भी कई सारे फायदे होते है, फ़ायदों के अलावा कुछ नुकशान भी होते जो हम इस पोस्ट मे नीचे पड़ेंगे।
गर्भावस्था मे आम बहुत लाभकारी होता है। तो आईए जानते है आम के फ़ायदों के बारे मे जो की निम्न है-
गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओ को खून की कमी (एनीमिया) का सामना करना पड़ता है। इस कमी को दूर करने के लिए आम का सेवन करना बहुत फायदेमंद होगा। आम मे विटामिन सी भरपूर मात्र मे पाया जाता है। जो हमारे शरीर मे आयरन को अवशोषित करने का कार्य करता है। और आम मे आयरन भी पाया जाता है। जिस कारण शरीर मे आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया की शिकायत को समाप्त करने मे सहायता करता है। अगर गर्भवती महिलाये दिन मे 1 या 2 आम का सेवन करती है। तो आयरन की कमी से होने वाली खून की कमी को दूर किया जा सकता है।
आम मे फोलिक एसिड भरपूर मात्र मे पाया जाता है। और गर्भावस्था के दौरान डाक्टर भी फॉलिक एसिड की दवाईया लेने की सलाह देते है। फॉलिक एसिड भ्रूण के विकाश मे महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को आम के सेवन से फॉलिक एसिड की कमी को दूर किया जा सकता है। आम मे मोजूद फॉलिक एसिड भ्रूण के न्यूराल ट्यूब डिफेक्ट् के खतरे को कम कर देता है। गर्भावस्था मे आम खाने से बच्चे का तंत्रिका और मस्तिष्क का विकास अच्छे से होता है। जिससे बच्चे को एक तंत्रिका संबंधित विकार के खतरे को कम किया जा सकता है।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे
एक शोध मे बताया गया है, कि आम के अंदर फ़ाइबर भी बहुत अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो पचान मे सुधार लाने मे मदद करता है। यह पाचन क्रिया को तंदूरत बनाता है। जिससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली पाचन की समस्या को ठीक करने मे भी बहुत मदद करता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को आम को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।
आम से संबंधित एक शोध मे स्पष्ट रूप से बताया गया है, की आम के अंदर विटामिन सी बहुतायत से पाया जाता है। विटामिन सी एक बहुत हि अच्छा एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। जो गर्भ मे पल रहे बच्चे के विकाश के लिए बहुत ही आवस्यक है।
आम विटामिन ए का बहुत ही अच्छा स्त्रोत माना जाता है। और एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध मे स्पष्ट रूप से बताया गया है। गर्भवस्था के दौरान विटामिन ए शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बड़ाने मे बहुत मददगार होता है। शोध के अनुसार विटामिन ए गर्भवस्था मे पल रहे बच्चे के शरीर के विकाश करने और हड्डियों को मजबूत बनाने और आँखों की रोशनी बड़ाने मे सहायता करता है। इसी कारण गर्भवस्था के दौरान डाक्टर गर्भवती महिला को विटामिन ए युक्त आहार खाने की सलाह दी जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाये विटामिन ए की पूर्ति के लिए आम का सेवन कर सकती है।
और पड़े गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान
आम विटामिन सी का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है। जो की एक बहुत ही अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। जो शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बड़ाने मे मदद करता है। इसलिए गर्भावस्था मे महिलाओ को आम को अपने आहार मे शामिल करना चाहिए।
आम के अंदर अन्य तत्वों के साथ मैग्नीशियम भी पाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है, की गर्भवस्था मे मैग्नीशियम की भी आवस्यकता होती है। आम मे मैग्नीशियम पाया जाता है। जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की व्रदधी करने मे सहायता करता है। और ब्लड प्रेससर को नियंत्रण मे रखता है।
गर्भवती महिलाओ को अक्सर गर्भावस्था के दौरान उलटी और जी मचलना की शिकायत रहती है। जिसे हम मॉर्निंग सिकनेस कहते है। और ये गर्भवस्था के हर महिला के साथ होता है। इस समस्या के निजात पाने के लिए चिकित्सक अक्सर विटामिन बी-6 की दवाईया लेने की सलाह देते है, जो की विटामिन बी-6 आम मे पाया जाता है। इसलिए आम के सेवन से गर्भवती महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान उलटी और जी मचलना की समस्या से राहत पा सकती है।
और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है
अगर हम पोषक तत्वों की बात करे, तो आम मे विटामीन्स, मिनरल्स, फेटीएसिड, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलेट के साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। 100 ग्राम आम मे लगभग 60 किलो केलोरी ऊर्जा पाई जाती है। जो गर्भावस्था के दौरान ऊर्जा की कमी को पूरा करने मे सहायक होती है। इसके अलावा भी कुच्छ आवस्यक तत्व भी आम मे होते है। जो निम्न है-
और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण
अगर हम बात करे आमों को कब खाने से बचना चाहिए। तो कुछ एसी परिस्थितिया है, जिनमे आम खाने से बचना चाहिए, जो निम्न है-
अगर हम बात करे की गर्भावस्था मे आम खाने के लिए किन बातों कहा ध्यान रखना चाहिए, जिससे स्वस्थ पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े सके, तो निम्न बिन्दुओ को ध्यान मे रखकर ही आमों को आने आहार मे शामिल करे।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान
अगर हम बात करे की कैसे आम को अपने आहार में शामिल करे, तो कुछ टिप्स ,है जिनकी मदद से आमों को अपने आहार मे शामिल कर सकते है। जो निम्न है-
उत्तर:- जी हाँ गर्भावस्था मे आमों का सेवन करना सुरक्षित है। लेकिन इन्हे अधिक मात्र मे सेवन न करे। एस करने से आपकी तबीयत भी खराब हो सकती है।
उत्तर:- अगर आम के ऊपरी सतह पर बारीक तरह को सफेद रंग की परत दिखाई देती है, तो वो आम कृत्रिम रूप से पके हुए है।
उत्तर:- बिल्कुल गर्भावस्था मे आम खाना सुरक्षित होता है। लेकिन सीमित मात्रा मे ही इसे आमने आहार मे शामिल करना चाहिए।
उत्तर:- वेसे तो गर्भवस्था मे आम खाना सुरक्षित है। लेकिन आचार मे तेल और मसाले मिलाए जाते है। जिनके कारण गर्भावस्था मे आचार खाने से पेट मे एसिडिटी, और आपका ब्लड प्रेसर भी बड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था मे आचार खाने से बचना चाहिए।
उत्तर:- गर्भावस्था मे आमों का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है। लेकिन खाली पेट आमों का सेवन करने से क्या कोई नुकसान होंगे या नहीं, इस बारे मे कोई प्रमाण मोजूद नहीं है। इसलिए अपने चिकित्सक से परामर्स ले कर ही आमों का सेवन करे।
उत्तर:- जी, हाँ आप गर्भवस्था मे रोज आमों का सेवन कर सकती है। लेकिन इनका संतुलित मात्रा मे ही सेवन करना चाहिए।
उत्तर:- आम से गर्भपात नहीं होता है। लेकिन गर्भपात होने के खतरे को रोकने मे मदद करता है।
उत्तर:- जी हां, गर्भावस्था मे अधिक सेवन करने से नुकसान हो सकते है। जिसमे आपको दस्त लग सकते है। आपका पेट खराब हो सकता है।
उत्तर:- हां, गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में भ्रूण के विकास के लिए अधिक खून की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति में विटामिन ए अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं इसकी पूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्यों में आम का जिक्र भी शामिल है
उत्तर:- आप चाहे तो कच्चे आम खाए या फिर पके हुई दोनों ही खाना सुरक्षित है। इनसे कई सारे लाभ होते है, जिनके बारे मे हम ऊपर पड़ चुके है।
उत्तर:- अंतिम तिमाही मे आमों का सेवन कर सकते है। लेकिन अंतिम तिमाही मे आपको थोड़ी सावधनी रखने की जरूरत होती है।
उत्तर:- अगर हम पके हुए आमों की बात करे तो आमों को छूने पर वो थोड़े नर्म लगते है। और आमों मे से अन्नानास और खरबूजे की मिश्रित खुश्बू आती है। जो पके हुये आमों की निसानी होती है।
आसा करते है, की इस लेख को पड़ने के बाद पता चल गया होगा की गर्भावस्था मे आमों का सेवन सेवन करना चाहिए है या नहीं और गर्भावस्था के दौरान आम खाने के फायदे और नुकसान के बारे मे आप जान चुके होंगे। उम्मीद है, आप ये पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको इस पोस्ट से जानकरी प्राप्त हुई होगी अगर आपको कोई सवाल है, तो कॉमेंट जे जरूर से लिखे। और इस पोस्ट को अपने दोस्तों को भी शेयर करे।
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]]>आयुर्वेद में लंबे समय से शहद को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। शहद कई सारी समस्याओ को ठीक करता है। शहद स्वाद मे मीठा लेकिन इसमे पोषण भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। शहद को कई समय तक संग्रहीत करके रखा जा सकता है। यह वर्षों तक खराब नहीं होता है। क्योंकि इसमे सूक्ष्म जीव विकसित ही नहीं हो पाते है। शहद मे एंटीमाइक्रोबियल गुण पाया जाता है।
अब सवाल यह उठता है, की क्या शहद को गर्भावस्था मे खाया जा सकता है। तो जवाब है, हाँ इसे गर्भवस्था मे खाया जा सकता है। चिकित्सक इसे खाने से मना नहीं करते है। स्टाइलक्रेज के एक लेख मे कहा गया है। इसे गर्भावस्था के दौरान खाया जा सकता है। और इसके अलावा भी एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट में मौजूद एक शोध के अनुसार, शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटी वाइरल गुण पाए जाते है। जो बैक्टीरिया और वाइरस से होने वाले प्रभावो को कम करने मे सहायक होता है। जो गर्भावस्था मे होने वाले संक्रमण से राहत दिलाता है। तो आइए जानते है, गर्भावस्था में शहद खाने के फायदो के बारे जो अगले सेक्सन मे लिखे है।
गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करना अच्छा माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट मे मोजूद एक आर्टिकल मे बताया गया है, की शहद मे एंटीऑक्सिडेंट और बैक्टीरियल गुण पाए जाते है। शहद के सेवन से एससीएफए (शार्ट-चेन फैटी एसिड) को के उत्पादन मे मदद करता है। एससीएफए (शार्ट-चेन फैटी एसिड) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे सुधार करके मजबूत बनाने मे मदद कर सकता है। और शोध के अनुसार ये येसा माना जाता है। महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने मे मदद मिल सकती है। जिससे रोगों से लड़ने मे सहायता मिल सकती है। क्योंकि गर्भवती महिलाओ को गर्भावस्था के इस नाजुक समय मे मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की बहुत जरूर होती है। जिससे गर्भ मे पल रहे बच्चे पर कोई भी जटिल प्रभाव न पड़ सके।
आयुर्वेद में लंबे समय से शहद को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। जिसमे एक उपयोग सर्दी खांसी से निजात पाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। शहद मे मौजूद एंटीवाइराल प्रभाव होता है। जो वाइरल इन्फेक्शन को ठीक करने मे मदद करता है। सर्दी और खांसी वाइराल इन्फेक्शन के कारण होते है। एनसीबीआई के द्वारा एक जनरल मे कहा गया है, कि छोटे बच्चों मे होने वाली सर्दी खांसी मे शहद के सेवन से राहत मिल सकती है। शहद गर्भावस्था मे वाइरल इन्फेक्शन के करने होने वाली सर्दी खांसी मे राहत दिला सकता है। लेकिन इस पर शोध करने की आवश्यकता है। एक गिलास गुनगुना पानी लें और उसमे शहद और मिला कर के इसे पीएं।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षण
अगर किसी व्यक्ति को गले मे खरास की समस्या हो गई है, जो की गले मे इन्फेक्शन होने के कारण हो सकती है। गले मे खरास से राहत दिलाने के लिए शहद का उपयोग किया जाता सकता है। क्योंकि शहद मे एंटीबैक्टीरियल और एंटीवाइराल गुण पाए जाते है। गर्भावस्था मे दवाईयो का उपयोग करना बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। शहद को एंटीबायोटिक दवाओ का सबसे सस्ता विकल्प माना जाता है। इसे गर्भावस्था मे अगर किसी महिला को गले मे खरास की सिकायत है तो शहद के सेवन को दूर किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवतियों महिलाओ को तनाव और अन्य समस्याओ का सामना करना पड़ता है। जिस कारण महिलाये सो नहीं पाती है। एनसीबीआई कहा गया है। की शहद मे हिप्नोटिक नामक प्रभाव पाया जाता है। जो अनिंद्रा की समस्या को दूर करने मे सहायक होता है। गर्भावस्था के दौरान तनाव और अनिद्रा से पीड़ित महिलाओं के लिए शहद का सेवन करना विशेष रूप से उपयोगी है। यह नींद की गुणवता मे सुधार लाता है। रात को सोने से पहले गर्म दूध के गिलास में एक चम्मच शहद मिला कर पीएं।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे
आयुर्वेद के एक लेख मे लिखा गया है, की शहद का उपयोग एलर्जी संबंधी समस्याए जैसे नाक से पानी बहना, स्किन पे चकते बन जाना, स्किन पे खुजली होना, आदि समस्याओ मे राहत पाने के लिए शहद का उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि शहद में एंटीएलर्जीक (एलर्जी को दूर करने वाला) गुण पाए जाते है। शहद मे उपस्थित पोलेन एलर्जीक प्रतिक्रियाओ मे सुधार लाने मे मददगार होता है। गर्भावस्था मे एलर्जी के कारण स्किन पे खुजली और स्किन रेसेस को ठीक किया जा सकता है। एलर्जी मे शहद कितना मददगार है, इस पर अभी शोध की आवश्यकता है।
अध्ययन के अनुसार शहद में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है। जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया कारण होने वाले जठरशोथ (गैस्ट्राइटिस) , पेप्टिक अल्सर के प्रभावों को कुछ हद तक ठीक करने मे मददगार होता है। गर्भावस्था मे गर्भवती महिलाओ को पेट मे गेस होना आम बात होती है। लेकिन गर्भवती महिलाये गेस और गेस्ट्रिक अल्सर से राहत पाने के लिए शहद का सेवन कर सकती है।
गर्भावस्था मे महिलाओ को थकान और कमजोरी का सामना करना पड़ता है। शहद आयरन, विटामिन बी और विटामिन सी और कैल्शियम का अच्छा स्रोत भी है। शहद थकान और कमजोरी को दूर करने मे भी मदद करता है।
और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है।
गर्भवती महलाओ के लिए चिंता का विषय बन जाता है, की शहद का इस्तेमाल की कैसे किया जाता है। इस कारण से भी कुछ महिलाये शहद का उपयोग नहीं कर पाती है। इसलिए आइए जानते है। गर्भावस्था मे शहद को अपने आहार मे कैसे शामिल करे।
और पड़े गर्भावस्था में आम खाने के फायदे और नुकसान
गर्भावस्था में शहद खाने के फायदे होते हैं, लेकिन शहद कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। क्या हैं गर्भवती महलाओ को शहद खाने के क्या नुकसान होते है, हम इस सेक्सन पड़ेंगे-
आज हमने इस ब्लॉग Kumar Medical Care मे जाना गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान के बारे। और शहद को कैसे अपने आहार मे शामिल किया जाता है । इसके बारे, आसा करता हूँ की आपको इस आर्टिकल से जानकरी मिली होगी। और आपको अगर ये पोस्ट अच्छी लगी होगी। इस पोस्ट को अपने दोस्तों को भी शेयर करे और आपको कोई सवाल है, तो नीचे कॉमेंट मे जरूर से लिखे।
और पड़े-
गर्भावस्था में अंगूर खाने के फायदे व नुकसान
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]]>खीरा मे पानी भरपूर मात्र मे होता है। और इसमे अनैक पोषक तत्व पाए जाते है। गर्भावस्था मे जिस महिला को मोटापा अधिक है। तो यह वजन को नियंत्रित करने के लिए उपयोग मे लाई जाती है। और इसमे केलोरी कम मात्रा मे पाई जाती है। जिससे यह वजन को बडने नहीं देती है। इसलिए जिन महिलाओ को गर्भावस्था के दौरान को मोटापा है, तो उन्हे खीरा का उपयोग करना चाहिए।
खीरा मे 95% पानी की मात्र पाई जाती है। जिससे शरीर मे मानी को कमी को दूर करती हैं। गर्भावस्था मे डिहाइड्रेशन से बचने के लिए खीर का उपयोग करना चाहिये।
विशेषज्ञों के का कहना है, की खीरे में मॉइस्चराइजिंग और एंटीइन्फ्लामेट्री तत्व पाए जाते है। जो त्वचा की सूजन, चलन, और चुभव से राहत दिलाती है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को खुजली, जलन, और चुभव का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति मे खीरा को काट कर सीधे जलन, खुजली और चुभव वाली जगह पर लगाने से बहुत राहत मिलती है। और इससे त्वचा को ठंडक मिलती है। [और पड़े त्वचा की डिसिज सोरायसिस के बारे ]
एक सोध से पता लगाया गया है, की खीरा खाने से रक्त का PH स्तर सुधारता हैं। जिससे बड़े हुए ब्लड प्रेसर को काम करने मे मदद मिलती है। और खीरा खाने से हार्ट को स्वस्थ बनाने मे भी मदद करती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान खीरा खाना फायदेमंद है। क्योंकि हार्ट से संबंधित समस्याओमे राहत पाने के लिए खीरा का सेवन किया जा सकता है।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षणों के बारे मे
खीरा मल को ढीला करने का कार्य करता है। और विशेषज्ञों का कहना है, की खीरे में लैक्सेटिव गुण पाया जाता है, जो कब्ज की शिकायत को दूर करने मे मदद करता है।
खीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बदने मे भी मदद करती है। खीरे मे आंतों में रक्त संचार को बढ़ावा देने वाला गुण पाया जाता है। जिससे इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाले कारणों को नष्ट करने का काम कर सकता है। ]
और पड़े प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है।
गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खीरा एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। क्योंईकी खीर मे आयरन, कैल्शियम, फोलेट, फॉस्फोरस, जिंक और विटामिन-ए आदि तत्व पाये जाते है। जो गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी को दूर करने करने मे मदद मिल सकती है।
खीरा मे एलकेलाईं गुण पाया जता है। जो शरीर मे Ph के स्तर को ठीक करने का कार्य करता है। और शरीर मे ph स्तर असामान्य होने से हड्डीया कमजोर होने लगती है। इसलिए खीरा मे एल्कलाइन गुण होने के कारण हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के यह कुछ फायदे है। जो आज इस पोस्ट मे पड़े। आसा करता हु आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी होगी। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लागि है। तो अपने दोस्तों को भी शेयर करे।
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]]>प्रेग्नेंसी के दौरान Tetanus Toxoid का टीका महिलाओ को लज्ञ जाता है। जिसे हम सभी T T का टीका कहते है। ये वही इन्जेक्शन है, जो चोट लगने पर डाक्टर के द्वारा लगाया जाता है इस इन्जेक्शन को प्रेग्नेंट महिला को इसलिए लगाया जाता है, की महिला और बच्चे को Tetanus होने से बचाया जा सके।
अगर कोई महिला है, जिसको प्रेग्नेंसी होने से पहले आज तक एक भी टीका नहीं लगा है, तो उसे प्रेग्नेंसी के दौरान टोटल तीन टिटेनस टीके लगाए जाएंगे ।
अगर कोई महिला है, जिसे आज से पहले TT का टीका लग हुआ है, तो उसे प्रेग्नेंसी क दौरान दो टीके लगाए जाएंगे ।
अगर कोई महिला है, जिसे तीन सालों मे पहले किसी कारण से दो टीके लगे हो, तो उस महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान एक ही TT का टीका लगाया जाएगा।
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जो टीके प्रेग्नेंसी के दौरान लगाए जाते है वो TT के ही होते है और इन्हे जरूर से लगवाना चाहिए और ये टीके सरकारी अस्पतालों मे बिल्कुल ही फ्री मे लगाए जाते है और ये बहुत ही सस्ते टीके होते है। आप चाहे तो अपने एरीये मे भी लगवा सकते है।
आज हमने जाना प्रेग्नेसी के दोरान कोन-कोन से टीके लगाए जाते है? वह टीके कोन से होते है? और जब टीके लगाए जाते है, तो उनके बीच क्या अंतर होना चाहिए? महिलाओ को कितने टीके लगाने चाहिए? और महिला इन टीकों को नहीं लगवाये तो क्या समस्या हो सकती है? इन सभी बातों के बारे मे जाना जो आपको पसंद आया होगा और इस जानकारी को सभी के साथ शेयर जरूर से कीजिए ताकि सभी के काम आ सके।
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]]>गर्भावस्था के दौरान बुखार भी हो सकता है। अगर किसी महिला को गर्भावस्था मे बुखार आ गया है तो डॉक्टर को जरूर दिखाए खुद से कभी भी कोई दवाई ना ले, क्योंकि ये बहुत खतरनाक हो सकता है। एसा करना माँ और बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर गर्भावस्था मे बुखार हो, तो नजदीक अस्पताल मे जरूर अपने डॉक्टर से परामर्स ले।
गर्भावस्था के दौरान अगर किसी महिला को योनि से रक्त बहने की सिकायत होती है, तो ये बहुत खतरनाक हो सकता है। एसी स्थिति होती है, तो जरूर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जिससे की मरीज को प्रॉपर ट्रीटमेंट दिया जा सके। जिससे माँ और बच्चे को कोई परेसनी ना हो।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान खीरा खाने के फायदे
गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट मे दर्द या दर्द का बना रहना एसी शिकायत रहती है। और ये शिकायत हर महिला को होती है। लेकिन अगर ये शिकायत अधिक बाद जाए तो, यह बहुत नुकसानदायक लक्षण है। अगर एसा होता है, तो जरूर से अपने डॉक्टर को दिखाए और अपना उपचार कराए।
गर्भावस्था के दौरान किसी किसी महिला को चेहरे और हाथ पेरो मे सूजन जाती है या हाथ पेरो flued इकट्टा हो जाता है। एसा होना महिला के लिए गंभीर हो सकता है इसलिए आप नजदीक के अस्पताल जाकर अपना चेकअप कराए जिससे सही उपचार दिया जा सके।
गर्भावस्था के दौरान त्वचा के रंग मे कमी होना आम बात है। लेकिन कुछ लक्षण बहुत खतरनाक हो सकते है। जिससे त्वचा का रंग लाल हो सकता है और त्वचा का रंग नीला भी पड सकता है गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को सोरायसिस होने की संभावना बहुत अधिक होती है जो एक स्किन की बीमारी है। अगर येसे कुछ लक्षण दिखाई देते है, तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले और उपचार कराए।
और पड़े Cold sore in Hindi
अगर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को सिर मे दर्द या माइग्रेन की शिकायत रहती है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाए अपने खुद से कोई pain killer टेबलेट ना ले, एसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है इसलिए अपने डॉक्टर से मिले और प्रापर उपचार ले।
अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान चक्कर आते है, ये तो BP कम होने के लक्षण हो सकते है और हो सकता है, की महिला को शारीरक कमजोरी होने के कारण भी चक्कर आ सकते है। अगर येसा होता है, तो डॉक्टर को दिखाए और प्रॉपर ट्रीटमेंट ले।
अगर किसी महिला को धुंधला दिखाई देता है या टिक से नहीं दिखाई नहीं देता है तो शारीरक कमजोरी या खून की कमी के लक्षण हो सकते है इसलिए लापरवाही ना करे जरूर से डॉक्टर को दिखाए।
और पड़े गर्भावस्था के दौरान शहद खाने के फायदे और नुकसान
गर्भावस्था मे महिलाओ को स्वस्थ रहना बेहद जरूरी होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को मतली और उलटी का सामना करना पड़ता है। जिस करना से महिलाए ठीक से खाना नहीं खा पाती है और खाना नहीं खाने से गर्भवती महिलाओ के शरीर मे कमजोरी का सामना करना पड़ता है। जो मा और बच्चे के स्वस्थ के लिए ठीक नहीं होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओ को जो अच्छा लगे वो खाए और अपने आप को शवस्थ रखे।
माशिक धर्म चक्र के कारण महिलाओ मे अक्सर खून की कमी रहती ही है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान महिलाओ मे खून की कमी रहना महिला के लिए नुकशानदायक है। एनीमिया के करना महिलाओ मे कमजोरी रहना, चक्कर आना, जैसे लक्षण होते है। इसलिए देरी न करे नकदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर से परामर्स आवश्य ले।
ऊपर दिए गए लक्षणों मे से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो अतिसीग्र पास के मेटरनिटी चिकित्सालय जाकर डॉक्टर को दिखाए जिससे माँ और बच्चे दोनों को कोई नुकशान न हो सके। आज हमने जाना गर्भावस्था के दौरान प्रकट होने वाले लक्षणो के बारे मे। अगर आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लगी है, तो अपने सभी दोस्तों को शेयर जरूर करे।
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