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]]>औटस एक आनज की प्रजाति है। जो बीजों के रूप मे होती है। औटस का साइंटिफिक नाम ऐवना स्टाइवा है और औटस की कई देशों मे खेती कही जाती है। और कई देशों मे औटस को खाया जाता है। और अधिकतर इसे नास्टे के रूप मे उपयोग किया जाता है। औटस स्वादिस्ट होने के साथ साथ ओट्स में फाइबर, मिनरल और बीटा-ग्लूकॉन के अलाव कई सारे पोषक तत्व पाए जाते है। जो शरीर को अनैक तरह के लाभ पहुचाता है। औटस मे पाया जाने वाला फाइबर जल मे घुलनशील होता है। जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है।
एक शोध मे बाते गया है, की औटस मे अनैक तरह के पोषक तत्व पाये जाता है, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। अपने नास्ते मे औटस का सेवन करने से शरीर बिल्कुल स्वस्थ और तंदरुस्त रहता है।
अगर हम औटस के प्रकारों की बात करे, तो औटस कई प्रकार के होते है। इन्हे अगल अलग तरह से खाया जाता है। जिनमे औटस के निम्न प्रकार होते है –
एक शोध के अनुसार औटस मे बीटा-ग्लूकॉन पाया जाता है। और यह बीटा-ग्लूकॉन शरीर मे ग्लाइसेमिक प्रभाव को कम कर देता है। जिस करना शरीर मे इंसुलिन का प्रभाव बड़ जाता है। शरीर मे इंसुलिन का प्रभाव बड़ने से ब्लड मे शुगर की मात्र संतुलित होने लगती है। ये शरीर मे शुगर की मात्र को संतुलित करने मे मदद करता है। जिन लोगों को मधुमेह की शिकायत है, उन लोगों के लिए औटस बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसलिए अपने आहार मे औटस को भी शामिल करना चाहिए।
ओट्स के अंदर सिलकॉन, मैग्निशियम, कैल्शियम, और प्रोटीन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाने मे मदद करते है। आज कल के लोगों मे बड़ती उम्र मे साथ शरीर मे पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। पोषक तत्वों की कमी के कारण हड्डीया कमजोर होने लगती है। हड्डियों मे दर्द, सूजन और अर्थराइटीस जैसे समस्याये होने लगती है। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ और मजूबत बनाने के लिए सप्ताह मे 3 से 4 बार औटस का सेवन करना चाहिए।
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औटस मे प्रचुर मात्र मे फाइबर पाया जाता है। एक अध्ययन के द्वारा बताया गया है। की औटस मे घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे मदद करता है। इसलिए कह सकते है, की औटस ह्रदय की समस्याओ मे राहत दिलाने मे सहायक हो सकता है।
औटस मे एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। और एक रिसर्च के अनुसार बताया गया है, की औटस मे मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण केन्सर की कोशिकाओ को बड़ने से रोकने मे मदद कर सकता है। इसलिए येसा कहा जा सकता है, की औटस का सेवन करने से केन्सर कोशिकाओ को बड़ने से रोका जा सकता है।
ओट्स का उपयोग उच्च रक्तचाप की समस्या को दूर करने मे सहायक हो सकता है। क्योंकि इससे जुड़ी एक शोध मे बताया गया है, की औटस मे घुलनशील फाइबर पाया जाता है। जो हार्ट की समस्या मे राहत दिलाने मे मदद कर सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके उच्च रक्तचाप को कम करने मे मदद कर सकता है। इसलिए कहा जा सकता है, की जिन लोगो की उच्च रक्तचाप की समस्या है। उन लोगों को औटस का सेवन करना चाहिए।
औटस का सेवन वजन को कम करने मे भी किया जा सकता है। क्योंकि औटस मे पाया जाने वाला बीटा ग्लूकॉन पाचन क्रिया को ठीक करने मे बहुत मदद करता है। और एक रिसर्च के अनुसार औटस का सेवन वजन को कम करने मे भी किया जा सकता है। इसमे पाया जान वाला बीटा ग्लूकॉन खाने को पचाने मे मदद करता है। और शरीर मे ऊर्जा को बनाए रखता है। इस लिए आप औटस का सेवन करके नियमित व्यायाम करके अपने वजन को कम कर सकते है।
औटस का उपयोग रोग प्रतिरोशक क्षमता को बड़ाने मे भी किया जा सकता है। क्योंकि औटस इसमे पाया जाने वाला बीटा-ग्लूकॉन जो ग्लाइसेमिक प्रभाव को कम करने मे मदद करता है। और श्वेत रक्त कोशिकाओं को बड़वा देने मे बहुत मदद करता है। जो बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से लड़ने का कार्य करती है। इनसे होने वाले इन्फेक्शन से बचाती है। इसलिए कहा जा सकता है, की औटस का उपयोग रोग प्रतिरोशक क्षमता को बड़ाने मे मदद करता है।
ओट्स का सेवन करना कब्ज की समस्या मे बहुत फायदेंमंद है। क्योंकि औटस मे पाया जाने वाला फाइबर कब्ज की समस्या से निजात दिलाने मे बहुत मदद करता है। इसलिए जिन लोगों को कब्ज की समस्या है, उन लोगों को इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए औटस का सेवन करना चाहिए।
औटस मे विटामिन बी-6 और फोलेट बहुत ही अधिक मात्र मे पाया जाता है, जो ब्रेन मे न्यूरॉनस के विकास करने मे मदद करता है और तनाव को कम करने मे सहायक होता है।
औटस का उपयोग सूखी त्वचा और खुजली को ठीक करने मे भी किया जा सकता है। क्योंकि एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव पाया जाता है, जो खुजली जैसी समस्या को ठीक करने का कार्य करते है। और स्किन को स्वस्थ बनाता है। और पड़े स्किन डिसिज एक्जिमा की पूरी जानकारी बारे मे
ओट्स में विटामिन-सी प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है। जो त्वचा पर निखार लाने मे बहुत मदद करता है। त्वचा को स्वस्थ और स्मूथ बनाने मे मदद करत है।
आज कल केमिकल वाले साबुन और सेंपू का उपयोग करने से बालों की समस्याए बाद है। और औटस बालों के झड़ने को रोकने मे भी बहुत मदद करता है। इसमे पाया जाने वाला सिलिकॉन एसिड जो बालों को झड़ने से रोकने मे मदद करता है, और बालों को बड़ने मे सहायक होता है।
ओट्स में पाया जाने वाला विटामिन बी-6 जो बालों की समस्या से छुटकारा पाने मे सहायक होता है। यह बालों मे रूसी को दूर करने मे मदद करता है। और बालों की चमक को बरकरार रखने मे मदद करता है।
आज कल लोगों मे पाचन की समस्या बहुत देखी जा रही है। पाचन की को ठीक करने के लिए हम औसत का उपयोग कर सकता है। क्योंकि औटस मे घुलनशील फाइबर अधिक मात्रा मे पाया जाता है। जो पानी मे घुलकर पाचन क्रिया को ठीक करने मे मदद करता है। जिससे धीमी पड़ी पाचन किया ठीक हो जाती है। और पेट मे कब्ज की शिकायत से राहत दिलाता है।
आज कल की भाग दौड़ मे शरीर मे विटामिन्स, मिनरल, प्रोटीन, की कमी के कारण बॉडी हमेशा मे थकान महसूस होती है। शरीर मे थकान को दूर करने के लिए औटस का उपयोग किया जा सकता है। ओट्स में विटामिन्स, मिनरल, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाया जाता है। जो शरीर थकान को काम करता है। और पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखता है।
औटस का सेवन अच्छी नींद के लिए भी लाभदायक होता है। क्योंकि सेरोटोनिन एक प्रकार का केमिकल है। जो मूड को ठीक करने का कार्य करता है। औटस सेरोटोनिन का स्तर संतुलित करने मे मदद करता है। इसके इस गुण के कारण न नहीं आने की समस्या से छुटकारा पाने मे मदद मिलती है।
अगर हम औटस के उपयोग की बात करे, तो कुछ इस तरह इनका उपयोग किया जा सकता है।
अगर हम औटस के नुकसान की बात करे तो जिस चीज के फायदे होते है। उसके कुछ न कुछ नुकसान भी होते है। और एसी बहुत कम चीजे है, जिनसे नुकसान न हो तो आईए जानते है। औटस के नुकसान के बारे मे जो निम्न है-
उम्मीद करता हूँ, की हमारी इस पोस्ट मे ओट्स (जई) के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे जानकारी मिल गई होगी। और आपको ये पोस्ट अच्छी लगी होगी। और अगर आपको ये जानकारी पसंद आई है, तो अपने दोस्त को भी शेयर करे। और आपको कोई सवाल है, तो नीचे कमेन्ट मे जरूर से लिखे।
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]]>अगर माना जाए तो सेहत के लिए सबसे अच्छा तेल जो कोल्ड प्रेस्ड आयल होता है। जिसे हम कच्ची घनी का तेल कहते है और दुनिया भर मे अनैक लोग इसका प्रयोग कर रहे है। और आदिकाल से इस कच्ची घनी के तेल प्रयोग होता आ रहा है। क्योंकि कच्ची घानी का तेल सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। और इस कच्ची घानी के तेल के बहुत सारे फायदे है। कच्छी घानी के तेल मे कोई भी रासायनिक तत्व नहीं होते है। ये सीधा घानी से निकालकर उपलब्ध कराया जाता है। जो स्वस्थ के लिए बहुत ही फायदेमंद है। आज हम इस पोस्ट मे कच्ची घानी तेल के फायदो के बारे मे जानेंगे।
जैसे की हमने पहले जाना की तेल पौधों और बीजों से बनाया जाता है। 2 तरीकों से बीजों से तेल निकाल जाता है। पहला तरीका जिसमे बीजों के साथ रासयनिक घोल का प्रयोग किया जाता है जिसमे बीजों के साथ रासायनिक घोल मिलकर बीजों से एक निचोड़ निकाल जाता है और इस निचोड़ को रिफाइंड करके अलग अलग किया जाता है। और इस प्रोसेस मे तेल से अशुद्धियों को निकाल जाता है। और पोषक तत्वों को सामिल किया जाता है। जिसे हम रिफाइंड ऑइल कहते है। जो आज कल मार्केट मे बहुतायत से उपलब्ध है। ये बड़ी आसानी से मार्केट मे मिल जाता है।
दूसरा तरीका जो पारंपरिक होता है। जिसमे कच्ची घानी से तेल प्राप्त किया जाता है। इस विधि मे बीजों को कूटा जाता है और उन बीजों पर दबाव डाला जाता है। जिससे बीजों से ताल बाहर निकला जाए और बीजों का गुदा और तेल अलग हो जाए और इस अलग कीये गए तेल को ही कच्ची घनी का तेल कहते है। जिसमे कोई रासायनिक घोल नहीं मिलया जाता है। और ना ही इसे गर्म किया जाता है। इसी कारण कच्ची घानी के तेल को प्रयोग ज्यादातर लोग अपने खाने मे करते है। क्योंकि ये सीधा बीजों से निकाल जाता है। और यह विधि बहुत पुरानी है। पुराने जमाने मे लोग तेल इसी विधि से निकाला करते थे। और तेल शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुचता है और ये हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद है। इस तेल के प्रयोग से स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है।
और पड़े ओट्स (जई) के फायदे, उपयोग और नुकसान ।
कच्ची घनी तेल के कई लाभ होते है और कच्ची घनी तेल हमारे लिए फायदेमंद भी है | इसके अनैक सबूत भी है तो जानते है कच्ची घानी के तेल के उन अनैक फ़ायदों के बारे मे जो निम्न प्रकार के है –
कच्ची घानी तेल मे एंटीऑक्सीडेंटस तत्व काफी मौजूद होते है। और इसके अलावा अनैक तत्व मोजूद होते है, जिससे हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और हमे अनैक रोगों से बचता है कच्ची घानी का तेल रोगों से लड़ने मे बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए हमे भी इस तेल का प्रयोग अपने खाने मे जरूर करना चाहिए।
कोल्डप्रेस्ड आयल ( कच्ची घानी तेल ) मे एंटीपालीअनसेचूरेटेड फेटी एसिड की बहुत अधिक मात्र होती है। जो हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। और इसके अलावा कच्ची घानी तेल मे ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फेटी एसिड भी मोजूद होते है। जो की हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद है।
कच्ची घानी का तेल ब्लड शुगर कंट्रोल करने मे भी बहुत मदद करता है यह कुछ अध्यायों मे पता लगाया है, की ब्लड शुगर कंट्रोल करने मे कच्ची घानी का तेल प्रयोग करना चाहिए ये तेल टाइप 2 डेबिटीस मे भी मदद करता है।
कच्ची घनी तेल मे एंटी ऑक्सीडेंट तत्व बहुत अधिक मात्र मे होते है। जो त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होते है। जिससे त्वचा पर कील मुहासे नहीं होते है। क्योंकि यह तेल केमिकल फ्री होता है। जिससे त्वचा और बालों मे लगाने से त्वचा और बाल दोनों मुलायम रहते है। इससे त्वचा को कोई भी नुकसान नहीं होता है। और यह बालों को भी मजबूत बनाता है।
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कच्ची घानी तेल मे एंटी इंफ्लानेन्ट्री तत्व होते है, जो इंफ्लामेसन को कम करने मे मदद करता है।
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