Diseases – Kumar Medical Care https://kumarmedicalcare.com Home of the best ideas for Healthy Life. Thu, 15 Jul 2021 03:57:42 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.7.2 https://i0.wp.com/kumarmedicalcare.com/wp-content/uploads/2021/05/cropped-PicsArt_05-05-08.55.58-1-e1620299205229.png?fit=32%2C32&ssl=1 Diseases – Kumar Medical Care https://kumarmedicalcare.com 32 32 191125729 प्रोस्टेटाईटिस की सम्पूर्ण जानकारी । Prostatitis in Hindi https://kumarmedicalcare.com/prostatitis-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=prostatitis-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/prostatitis-in-hindi/#respond Thu, 03 Jun 2021 12:29:09 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=594 आज हम जानेंगे प्रोस्टेटाइटिस के बारे जिसमे प्रोस्टेट ग्रंथि में जलन और सूजन आ जाती है, और हम जानेगे प्रोस्टेट का अर्थ क्या होता है? ...

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आज हम जानेंगे प्रोस्टेटाइटिस के बारे जिसमे प्रोस्टेट ग्रंथि में जलन और सूजन आ जाती है, और हम जानेगे प्रोस्टेट का अर्थ क्या होता है? प्रोस्टेटाइटिस कितने प्रकार का होता है। प्रोस्टेटाइटिस के क्या कारण होते है? प्रोस्टेटाइटिस होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है? प्रोस्टेटाइटिस के बचाव क्या है? प्रोस्टेटाइटिस का उपचार क्या होता है? ये सारे प्रश्नों के बारे मे इस ब्लॉग Prostatitis in Hindi  मे जानेगे जो, नीचे अलग-अलग सेक्शन मे लिखा गया है।

प्रोस्ट्रेट ग्रंथि मे जलन होना और सूजन आ जाता है। जिसे हम प्रोस्टेटाइटिस कहते है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि वीर्य का उत्पादन करती है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि ब्लेडर के निचले हिस्से मे पाई जाती है। ये ग्रन्थि 50 से 75 % वीर्य का निर्माण करती है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि का आकार उम्र के साथ बडता रहता है। जो शुक्राणुओ के पोषण मे सह्यक होता है। और यह शुक्राणुओ का परिवहन भी करता है। और प्रोस्ट्रेट ग्रंथि का आकार उम्र के साथ बडता रहता है। प्रोस्टेटाइटिस बीमारी सभी उम्र के पुरुषों मे हो सकती है। लेकिन 30 से 50 वर्ष की उम्र वाले पुरुषों मे अधिक होने की संभावना होती है। प्रोस्टेट ग्रन्थि मे सूजन आने के करना पेशाब ठीक से न हो पाना, पेशाब मे दर्द, पेशाब रुक रुक कर आना, पेशाब मे जनन, आदि समस्या होने लेगती है।

प्रोस्टेटाईटिस के प्रकार । Types of Prostatitis in Hindi:-

अगर हम प्रोस्टेटाईटिस के प्रकारों की बात करे तो इसके निम्न लिखित प्रकार होते है।

एक्यूट बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस । Acute Bacterial Prostatitis  :-

एक्यूट बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण होता है। इसमे प्रोस्टेट ग्रन्थि मे सूजन आ जाती है। और ब्लेडर के निचले हिस्से मे दर्द होने लगता है। यूरिन करने मे परेसनी होने लगती है। एक्यूट बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस का उपचार लेने मे कुछ दिनों मे ठीक हो जाता है।

क्रोनिक बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस । Chronic Bacterial Prostatitis : –

क्रोनिक बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस होने पर यह बहुत दिनों तक रहता है। और गंभीर हो जाता है। इसमे इन्फेक्शन होने पेसेन्ट को दर्द का सामना करना पड़ता है। यूरिन के साथ पस आने लगता है। यूरिन करने मे परेसानी होती है। और इसका इलाज लंबे समय तक चल है। और अधिक परेसानी होने पर इसे सर्जरी द्वारा ठीक किया जाता है।

क्रोनिक पैल्विक पेन सिंड्रोम । Chronic Pelvic Pain Syndrome :-

क्रोनिक पैल्विक पेन सिंड्रोम पुरुषों मे आम होने का प्रकार है। इस प्रकार प्रोस्टेटाइटिस मे सूजन आ जाती है। इस प्रकार के प्रोस्टेटाइटिस मे पेलविक, पेरेनम, अंडकोश, मलासय मे दर्द होते रहता है। और क्रोनिक पैल्विक पेन सिंड्रोम हर 3 पुरुषों मे से 1 को होता है।  

असिम्पटोमैटिक इंफ्लेमेटरी प्रोस्टेटाइटिस । Asymptomatic Inflammatory Prostatitis :-

सिम्पटोमैटिक इंफ्लेमेटरी प्रोस्टेटाइटिस मे प्रोस्टेटाइटिस मे सूजन आ जाती है। लेकिन इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते है।

[और पड़े Black Fungal Infection के बारे मे ]

प्रोस्टेटाईटिस के कारण । Causes of Prostatitis in Hindi

प्रोस्टेटाइटिस के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि :

  • बैक्टीरियल इन्फेक्शन:- प्रोस्टेटाइटिस के कारण होता है। अगर किसी पेसेन्ट को यूरिनरी ट्रैक्ट का इन्फेक्शन है तो उसे प्रोस्टेटाइटिस होने की संभावना होती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी:- अगर किसी पेसेन्ट की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे कमी है तो उस व्यक्ति जो प्रोस्टेटाइटिस होने की संभावना हो सकती है।
  • प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में चोट लगना:- अगर किसी पेसेन्ट को किसी कारण से प्रोस्ट्रेट ग्रंथि मे चोट लग जाती है। तो प्रोस्ट्रेट ग्रंथि मे सूजन आ सकती है।
  • सेक्सुअल ट्रानमिटेड इन्फेक्शन:- सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान भी ये प्रोस्टेटाइटिस हो सकता है। सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान क्लैमाइडिया गोनोरिया के इन्फेक्शन के कारण भी प्रोस्टेटाइटिस हो सकता है।

[और पड़े एक्जिमा की पूरी जानकारी के बारे मे ]

प्रोस्टेटाईटिस के लक्षण । Symptoms of Prostatitis Infection in Hindi:-

अगर हम प्रोस्टेटाइटिस के लक्षणों कि बात करे तो इसके प्रमुख लक्षण निम्न है-

  • पेसेन्ट को पेसाब करने मे परेसानी होने लगती है।
  • पेसेन्ट को पेशाब मे दर्द होता है।
  • पेशाब मे जलन होने लगती है।
  • पेशाब रुक रुक कर बार बार आने की शिकायत रहती है।
  • यूरिन के साथ ब्लड आना जैसी शिकायत रहती है।
  • वीर्यपात होने पर दर्द का होता है।
  • पेसेन्ट को मलाशय और अंडकोश मे दर्द रहता है।
  • लिंग दर्द होता है और अंडकोश के बीच मे दर्द होता है।
  • पेसेन्ट को पेरेनम और पेलविक एरिया मे दर्द होता है।
  • सेक्सुअल एक्टिविटी करते समय दर्द होता है।
  • पेसेन्ट को फ्लू के लक्षण रहते है।

[और पड़े सोरायसिस पूरी की जानकारी के बारे मे ]

प्रोस्टेटाईटिस के निदान । Diagnosis of Prostatitis in Hindi

अगर हम प्रोस्टेटाइटिस के निदान की बात करे तो कुछ इस तरह से इस बीमारी का पता लगाया जाता है-

  1. शारीरिक जांच(Physical examination):- निदान के समय पेसेन्ट की शारीरिक जांच की जाएगी जो डॉक्टर प्रोस्टेटाइटिस के लक्षणों के आधार पर पेसेन्ट की शारीरिक जांच जांच की जाएगी।
  2. मेडिकल हिस्ट्री (Medical history):- निदान के समय पेसेन्ट की पुरानी मेडिकल हिस्ट्री मे बारे मे पता करेंगे। जिसमे अगर पेसेन्ट को पहले कोई बीमारी हुई है, क्या जैसे चोट, एलर्जी या कोई बीमारी।
  3. लेब टेस्ट(Lab Test):- पेसेन्ट का लेब टेस्ट किया जाएगा जो लक्षणों के आधार पर टेस्ट किट जाएगा। जिसमे पेसेन्ट का यूरिन एनालिसिस और कल्चर (यूरिनएनालिसिस), ब्लड टेस्ट, CT Scan, X ray, sonography आदि।

[और पड़े कोल्ड सोर्स की जानकारी के बारे मे ]

प्रोस्टेटाईटिस का उपचार । Treatment of Prostatitis in Hindi:-

प्रोस्टेटाइटिस के इलाज के लिए कई दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें निम्नलिखित दवाएं शामिल हो सकती हैं-

  1. अल्फा-ब्लॉकर्स दवाये:- यह दवाये प्रोस्टेट ग्रन्थि की मांसपेशियों को आराम पहुचाकर मूत्र के प्रवाह को ठीक करती है।
  2. एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं:- ये दवाये सूजन को काम करती है। जिससे पेसेन्ट को मूत्र विसर्जित करने मे मदद मिलती है। और दर्द भी कम हो जाता है।
  3. एंटीबायोटिक्स:– एंटीबायोटिक्स बैक्टीरियल इन्फेक्शन को ठीक करने का कार्य करती है। बैक्टीरिया से होने वाला इन्फेक्शन जैसे क्रोनिक बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस को ठीक करने मे मदद करती है। यह दवाइया डॉक्टर द्वार पेसेन्ट को दी जाती है।
  4. सर्जरी:- सर्जरी की स्थिति तब बनती है। जब पेसेन्ट को प्रोस्टेट मे इन्फेक्शन गंभीर रूप से हो जाता है। जैसे क्रोनिक बैक्टीरियल प्रोस्टेटाइटिस जिसमे पेसेन्ट को बहुत परेसानी होने लगती है। और यह ठीक नहीं होता है। और इन्फेक्शन के कारण पस पड़ने लगता है। तो सर्जरी की जाती है। जिसमें सर्जरी के द्वारा प्रोस्टेट ग्रन्थि को हटा दिया जाता है। जिसे प्रोस्टेटैक्टोमी कहते है।

[और पड़े डायरिया के लक्षण, कारण, बचाव और उपचार के बारे मे ]

प्रोस्टेटाईटिस की जातिलटाए । Complications of Prostatitis in Hindi

अगर हम प्रोस्टेटाईटिस के Complications की बात करे तो प्रोस्टेटाईटिस के बाद पेसेन्ट को निम्न Complications हो सकती है-

  • पेसेन्ट रक्तप्रवाह का जीवाणु संक्रमण हो सकता है।
  • पेसेन्ट को प्रोस्टेट में मवाद पड़ सकती है।
  • पेसेन्ट वीर्य संबंधी असामान्यताएं हो सकती है और बांझपन हो सकता है।
  • पेसेन्ट को ब्लाडर पे परेसानी हो सकती है।

जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय:-

जीवनशैली में बदलाव ला कर हम प्रोस्टेटाईटिस होने से बचा जा सकता है- 

  • येसा भोजन करे जिससे रोग प्रतिरोध क्षणता सामान्य बनी रहे।
  • अधिक शराब कॉफी का सेवन नहीं करे।
  • शरीर पर क्षमता से ज्यादा बल डालने वलव कार्य नहीं करे।
  • सुरक्षित सेक्सुअल एक्टिविटी ही करे।

प्रोस्टेटाईटिस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न । Frequently asked Questions about Prostatitis in Hindi (FAQa)

प्रश्न:- प्रोस्टेट क्या है?

उत्तर:- प्रोस्ट्रेट एक ग्रन्थि होती है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि ब्लेडर के निचले हिस्से मे पाई जाती है। ये ग्रन्थि 50 से 75 % वीर्य का निर्माण करती है। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि का आकार उम्र के साथ बडता रहता है। जो शुक्राणुओ के पोषण मे सह्यक होता है। और यह शुक्राणुओ का परिवहन भी करता है।

प्रश्न:- प्रोस्टेटाईटिस क्या है?

उत्तर:- प्रोस्ट्रेट ग्रंथि मे जलन और सूजन आने की स्थिति को प्रोस्टेटाईटिस कहते है। और यह बिमारी पुरुषों मे होती है। जिसमे पेशाब करते समय दर्द होता है और पेशाब मे जलन होती है, और पेशाब रुक रुक के आती है।

प्रश्न:- प्रोस्टेटाईटिस किसको हो सकता है?

उत्तर:- प्रोस्टेटाईटिस पुरुषों मे होता है और जिन पुरुषों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे कमी है, या प्रोस्टेट ग्लैन्ड मे चोट लगी हो, सुरक्षित सेक्सुअल एक्टिविटी नहीं करते है उनको हो सकत है।

प्रश्न:- प्रोस्टेटाईटिस के लक्षण क्या है?

उत्तर:- प्रोस्टेटाईटिस होने पर कुछ इस तरह के लक्षण हो सकते है। जिसमे पेसेन्ट को पेशाब मे जलन, पेशाब मे दर्द, यूरेथ्रा मे दर्द, पेशाब के रक्त आना, लिंग मे दर्द  मलाशय और अंडकोश मे दर्द, आदि लक्षण हो सकते है।

प्रश्न:- प्रोस्टेट की जांच कैसे होती है?

उत्तर:- प्रोस्टेटाईटिस होने पर यूरिन एनालिसिस और कल्चर (यूरिनएनालिसिस), ब्लड टेस्ट, CT Scan, Xray, sonography आदि। जाचे डॉक्टर द्वारा कराई जाती है।

प्रश्न:- प्रोस्टेट बढ़ने से क्या दिक्कत होती है?

उत्तर:- प्रस्टेट बढ़ने पर पेसेन्ट को पेशाब मे जलन, पेशाब मे दर्द, यूरेथ्रा मे दर्द, पेशाब के रक्त आना, लिंग मे दर्द  मलाशय और अंडकोश मे दर्द आदि समस्याए

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Black Fungal Infection information in Hindi । Mucormycosis information in Hindi https://kumarmedicalcare.com/black-fungal-infection-information-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=black-fungal-infection-information-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/black-fungal-infection-information-in-hindi/#respond Mon, 24 May 2021 13:06:28 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=499 आज हम जानेंगे Black fungal infection के बारे जो प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है, जो की आँख, नाक, मुह, चेहरा, और त्वचा और दिमाग को ...

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आज हम जानेंगे Black fungal infection के बारे जो प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है, जो की आँख, नाक, मुह, चेहरा, और त्वचा और दिमाग को प्रभावित करता है। हम जानेगे Black fungal infection कितने प्रकार का होता है। ब्लेक फंगल इन्फेक्शन के क्या कारण होते है? ब्लेक फंगल इन्फेक्शन होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है? ब्लेक फंगल इन्फेक्शन के बचाव क्या है? ब्लेक फंगल इन्फेक्शन का उपचार क्या होता है?ये सारे प्रश्नों के बारे मे इस ब्लॉग Black fungal infection Full Information in Hindi मे जानेगे जो, नीचे अलग-अलग सेक्शन मे लिखा गया है।

Black fungal infection एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है, जिसे म्यूकॉर-माइकोसिस (Mucormycosis) कहा जाता है और ब्लेक फंगल इन्फेक्शन को ज़ीगोमाइकोसिस नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक फंगल पर्यावरण मे जमीन पर पड़ा कार्बनिक पदार्थ से अपना भोजन लेकर अपना विकाश करता है। कार्बनिक पदार्थ मिट्टी, रेत, खाद, पत्तों मे पाया जाता है।

यह बीमारी उन व्यक्तियों को होती है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। क्योंकि हवा मे मोजूद कवक (Fungus) व्यक्ति को प्रभावित करते है। जिस कारण Black fungal infection होता है।

Black fungal infection एक प्रकार का गंभीर बीमारी है, जो बहुत तेजी से शरीर मे फैलता है। जो की आँख, नाक, मुह, चेहरा, और त्वचा और दिमाग को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। जिसमे पेसेन्ट के चेहरे पे सूजन आ जाती है, नाक बंद हो जाती है और आखों मे सूजन आ जाती है। आँखों से पानी बहने लगता है। ये मुख्य लक्षण दिखाई देते है।

अभी कोरोना वायरस के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दवाईया जैसे- टोक्सिलिज़ुमाब(Tocilizumab),डेक्सामेथासोन (Dexamethasone)आदि उपयोग मे लाई जा रही है। ये दवाईया शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली को नियंत्रित कर के रखती है। लेकिन येसा करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। जिस कारण यह ब्लेक कवक (Black fungus) व्यक्ति को तेजी से गंभीर रूप से प्रभावित कर देता है।

ब्लेक फंगल इन्फेक्शन के प्रकार । Types of Black Fungal Infection in Hindi:-

म्यूकॉरमाइकोसिस के प्रकार । Types of Mucormycosis in Hindi:-

ब्लेक फंगल इन्फेक्शन(म्यूकॉरमाइकोसिस) 5 प्रकार का होता है-

  1. Rhinocerebral Mucormycosis
  2. Pulmonary Mucormycosis
  3. Gastrointestinal mucormycosis
  4. Cutaneous mucormycosis
  5. Disseminated mucormycosis

ब्लेक फंगल इन्फेक्शन के कारण । Causes of black fungus in Hindi:-

म्यूकॉरमाइकोसिस के कारण । Causes of Mucormycosis in Hindi:-

अगर हम Black Fungal Infection (Mucormycosis) के कारण की बात करे तो, ब्लैक फंगल पर्यावरण मे जमीन पर पड़ा कार्बनिक पदार्थ जो सड़ जाता है। और उसमे पनपने वाला fungus जो हवा के माध्यम से व्यक्ति को प्रभावित करता है। जैसे-

  • पत्ते:- पत्तों के सडने के बाद उसमे कवक पनपने लगता है।
  • खाद:- खाद जैसे- कचरे से जैविक खाद बनाई जाती है। उसके ढेर मे ब्लेक फंगस पनपता है।
  • मिट्टी और रेत:- मिट्टी और रेत मे भी यह फंगस होता है।
  • लकड़ी:- लकड़ी के सडने के बाद उसमे भी ब्लेक फंगस विकसित होने लगता है।

ये कुछ इन कारणों से ब्लैक फंगस होता है। जो हवा के माध्यम से व्यक्ति को प्रभावित करता है।

[और पड़े स्किन डिसिज सोरायसिस के बारे मे ]

ब्लेक फंगल इन्फेक्शन के लक्षण । Symptoms of Black Fungal Infection in Hindi:-

Mucormycosis के लक्षण । Symptoms of Mucormycosis in Hindi:-

म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षणों की बात करे तो इस प्रकार के होते है।

Rhinocerebral mucormycosis:-

इस प्रकार का इन्फेक्शन साइनस और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। जिसके लक्षण निम्न लिखित है।  

  • व्यक्ति को चेहरे पे सूजन आ जाती है।
  • नाक मे या सायनस मे खून का जमाव होने लगता है।
  • व्यक्ति की नाक बंद हो जाती है।
  • व्यक्ति की नाक बंद होने के कारण सांस लेने मे परेसानी होती है।
  • व्यक्ति की नाक से काला द्रव निकालने लगता है।
  • व्यक्ति की नाक मे दर्द होने लगता है।
  • व्यक्ति को दांतों में दर्द महसूस होता है।
  • व्यक्ति के दांत का टूट कर गिरने लगते है।
  • व्यक्ति की नाक के आस पास काले घाव बनाने लगते है। और कुछ ही दिनों मे गंभीर हो जाते है।
  • व्यक्ति की आँखों मे सूजन आ जाती है।
  • आँखों मे दर्द होता है।
  • आँखों से पानी बहने लगता है।
  • व्यक्ति को सिर मे दर्द रहता है।
  • व्यक्ति को बुखार आ जाती है।
  • आँखे लाल हो जाती है।
  • धुंधला दिखाई देने लगता है।

Pulmonary mucormycosis:-

यह इन्फेक्शन लंग्स को प्रभावित करता है। जिसके लक्षण निम्न है-

  • व्यक्ति को खांसी आने लगती है।
  • व्यक्ति को बुखार आ जाती है।
  • सिने मे दर्द होने लगता है।
  • स्वास लेने मे तकलीफ होती है।

Cutaneous mucormycosis:-

यह इन्फेक्शन त्वचा को प्रभावित करता है। जिसके लक्षण निम्न है-

  1. व्यक्ति को दर्द होता है।
  2. व्यक्ति को गर्मी होती है।
  3. व्यक्ति को शरीर मे घाव बन जाते है।
  4. व्यक्ति शरीर मे सूजन आ जाती है।
  5. त्वचा लाल हो जाती है।

Gastrointestinal mucormycosis:-

इस प्रकार का इन्फेक्शन आंतों को प्रभावित करता है। जिसके लक्षण निम्न है-

  • व्यक्ति को पेट में दर्द होता है।
  • व्यक्ति को मतली औरउल्टी होती है।
  • व्यक्ति को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग होने लगती है।

Disseminated mucormycosis:-

इस प्रकार का इन्फेक्शन उन लोगों को प्रभावित करता है। जो लोग पहले से किसी बीमारी से ग्रसित है। और यह Disseminated mucormycosis होने के कारण मानशिक स्थिति मे बदलाव आता है और पेसेन्ट कोमा मे चला जाता है।

[और पड़े स्किन डिसिज कोल्ड सोर्स के बारे मे]

ब्लैक फंगस से बचने के लिए उपाय । Prevention of Black Fungal Infection in Hindi:-

Mucormycosis के बचाव । Prevention of mucormycosis in Hi ndi:-

अगर हम ब्लेक फंगस के बचाव की बात करे तो कुछ उपाय है, जिन्हे अपना कर ब्लेक फंगस से बच जा सकता है। जो निम्न है-

  1. अपने शरीर को साफ स्वछ रखे। अपनी नाक और आँखों को साफ करते रहना चाहिए।
  2. ब्लेक फंगस शुगर वाले पेसेन्ट को हो सकता है। इसलिए आप अपना शुगर लेवल नियंत्रण मे रखे।
  3. एक बार प्रयोग मे लिए ऑक्सीजन की ट्यूब को दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  4. ज्यादा स्टेरॉड दवाओ का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  5. डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।

ब्लैक फंगस के निदान । Diagnosis of Black Fungal infection in Hindi:- 

Mucormycosis के निदान । Diagnosis of Mucormycosis in Hindi:-

  1. शारीरिक जांच(Physical examination):- पेसेन्ट की शरीर जांच करेंगे जिसमे देखेंगे। पेसेन्ट की स्किन, पेसेन्ट की आँखे, पेसेन्ट की नाक आदि।
  2. मेडिकल हिस्ट्री (Medical history):- पेसेन्ट की पुरानी मेडिकल हिस्ट्री मे बारे मे पता करेंगे।
  3. लेब टेस्ट(Lab Test):- पेसेन्ट का लेब टेस्ट कराएंगे। जिसमे पेसेन्ट का Tissue biopsy, CT Scan, MRI आदि।

ब्लैक फंगस का उपचार । Treatment of Black Fungal infection in Hindi :-

  • Amphotericin B therapy:- amphotericin B दवा का प्रयोग करके Black fungal infection को ठीक किया जाता है।
  • Antifungal medications:- डाक्टर द्वारा antifungal medicine का उपयोग करके पेसेन्ट का उपचार किया जाता है।
  • Surgical therapy:- जिस पार्ट मे इन्फेक्शन हुआ है। surgery द्वारा ठीक किया जाता है।

ब्लैक फंगस की जातिलटाए। Complications of Black Fungal infection in Hindi :-

  • पेसेन्ट को अंधापन हो सकता है।
  • पेसेन्ट को मेनिन्जाइटिस हो सकता है।
  • पेसेन्ट को ब्रैन अबसेस हो सकता है।
  • पेसेन्ट को पल्मोंनरी हेमरेज हो सकता है।
  • गेस्ट्रोइन्टेस्टनल हेमरेज हो सकता है।
  • पेसेन्ट को जीवाणु इन्फेक्शन हो सकता है।

आज हमने जाना Black Fungal Infection के बारे मे और Black Fungal Infection  के प्रकार, कारण, लक्षण, बचाव के उपाय, निदान , उपचार और जातिलताओ के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी के बारे मे जाना । अगर आपको हमारी ये जानकारी अच्छी लगी है या  ये पोस्ट आपको  पसंद आई है , तो आप अपने दोस्तों को जरूर से शेयर करे।

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एक्जिमा की पूरी जानकारी । Eczema Full Information in Hindi https://kumarmedicalcare.com/eczema-full-information-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=eczema-full-information-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/eczema-full-information-in-hindi/#respond Mon, 17 May 2021 12:02:16 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=478 आज हम जानेंगे एक्जिमा के बारे जो एक स्किन की बीमारी है। जिसमे पेसेन्ट को एलर्जी और खुजली होती है। हम जानेगे एक्जिमा कितने प्रकार ...

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आज हम जानेंगे एक्जिमा के बारे जो एक स्किन की बीमारी है। जिसमे पेसेन्ट को एलर्जी और खुजली होती है। हम जानेगे एक्जिमा कितने प्रकार का होता है। एक्जिमा के क्या कारण होते है? एक्जिमा होने पर क्या लक्षण दिखाई देते है? एक्जिमा के बचाव क्या है? इस ब्लॉग Eczema Full Information in Hindi मे हम इन सभी पॉइंट के बारे मे जानेगे जो नीचे अलग अलग सेक्शन मे लिखा गया है।

आप अक्सर खुजली से परेसान रहते होंगे। और कभी कभी अत्यधिक बड़ जाती है। जिसका करना एक्जिमा हो सकता है। जिसमे व्यक्ति को खुजली चलती है। और स्किन लाल, सुखी और पपड़ीदार हो जाती है।

एक्जिमा एक स्किन मे होन वाला रोग है। जिसमे पेसेन्ट को एलर्जी और खुजली होने लगती है। जिस कारण त्वचा लाल, सुखी, प्लेगयुक्त हो जाती है। जिसका समय पर इलाज न मिलने पर त्वचा सुखी और पपड़ी युक्त हो जाती है। और खुजालने पर उसमे से खून भी निकालने लगता है। और घाव बन जाते है। एक्जिमा एक एसी बीमारी है जिसका इलाज लंबे समय तक चलता है।

एक्जिमा के प्रकार (Types of Eczema):-

  • एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopicdermatitis)
  • डिशिड्रोटिक एक्जिमा (Dyshidroticeczema)
  • न्यूरोडर्मेटाइटिस (Neurodermatitis)
  • न्यूमुलर एक्जिमा (Nummulareczema)
  • कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Contactdermatitis)

एक्जिमा के कारण (Causes of Eczema or Itching)

अगर हम एक्जिमा के कारणों की बात करे, तो एक्जिमा किस कारण होता है। इसका अभी कोई सही कारण नहीं है। लेकिन कुछ निम्न कारणों से एक्जिमा रोग होता हैः-

  1. बैक्टीरियल संक्रमण:- बैक्टीरियल संक्रमण के कारण व्यक्ति को एक्जिमा हो सकता है। जिसमे स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) नाम का बैक्टीरिया शरीर मे एक्जिमा उत्पन्न करने का कारण बनता है। जो स्किन को धीरे धीरे खाने लगता है, जिससे स्किन पे खुजली चलने लगती है।
  2. अनुवांशिक कारण:- आनुवंशिकता के कारण भी व्यक्ति को एक्जिमा हो सकता है। जिसमे अगर माता पिता को अगर एसी समस्या होती रहती है, तो उनकी संतान को भी आनुवंशिकता के कारण हो सकती है। जिससे संतान भी इस बीमारी से प्रभावित हो सकती है।
  3. मौसम में परिवर्तन :- मौसम के परिवर्तन होने से भी व्यक्ति को एक्जिमा हो सकता है।
  4. रोग-प्रतिरोगधक क्षमता का कमजोर होना:- हमारे शरीर मे रोग-प्रतिरोग क्षमता का मजबूत होना अनिवार्य होता है। अगर रोग-प्रतिरोगधक क्षमता कमजोर होने से अनैक तरह के रोग हो सकते है। और एक्जिमा भी रोग-प्रतिरोगधक क्षमता के कमजोर होने से होता है।
  5. एलर्जी से ग्रस्त होना:- अगर किसी पेसेन्ट को किसी चीज से एलर्जी होती है। जिसमे व्यक्ति को अचानक शरीर मे खुजली चलने लगती है, इस कारण व्यक्ति को एक्जिमा हो सकता है।
  6. त्वचा में नमी की कमी से:- त्वचा में नमी की कमी के कारण भी एक्जिमा हो सकता है। क्योंकि त्वचा में नमी न होने से त्वचा रूखी सुखी हो जाती है। जिस कारण त्वचा पर खुजली चलना, त्वचा पर जलन होना आदि हो सकता है।
  7. अधिक मात्रा में तनाव लेना:- अत्यधिक तनाव मे रहने वाले व्यक्तियों को एक्जिमा होने की संभावना अधिक होती है। अतः हमे तनाव मे नहीं रहना चाहिए। क्योंकि तनाव मे रहने से अनैक रोग होने की संभावना होती है।
  8. पौष्टिक भोजन न करना:- एक्जिमा उन व्यक्तियों मे ज्यादा देखा गया है, जो पौष्टिक भोजन नहीं लेते है। अतः स्वस्थ रहने के लिए हमे हमेशा पौष्टिक भोजन करना करना चाहिए।
  9. जानवरों की रूसी:- जानवरों की रूसी के कारण भी एक्जिमा हो सकता है। चाहे जानवर आपके घर मे पालतू ही क्यों न हो।
  10. अस्थमा का होना:- जिन व्यक्तियों को अस्थमा होता है, उन व्यक्तियों मे ज्यादातर एक्जिमा देखा गया है। अगर कोई पेसेन्ट अस्थमा से पीड़ित है, वो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे और अपने डाक्टर से सलाह लेते रहे है।
  11. साबुन या डिटर्जन्ट:- साबुन या डिटर्जन्ट के कारण भी एक्जिमा हो सकता है। साबुन या डिटर्जन्ट के करना त्वचा सूष्क हो जाती है।
  12. आभूषण पहनना:- निकेल या कॉपर जैसी धातुओं के आभूषण पहनने से भी एक्जिम हो सकता है।
  13. महिलाओं में हार्मोन:- महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन के कारण भी एक्जिमा हो सकता है।
  14. मासिक धर्म:- महिलाओ मे मासिक धर्म के कारण एक्जिमा होने की संभावना होती है।

[ और पड़े स्किन डिसिज सोरायसिस के बारे मे ]

एक्जिमा के लक्षण (Symptoms of Eczema or Itching):-

अगर हम एक्जिमा के लक्षणों की बात करे तो अगल अगल व्यक्तियों मे भिन्न भिन्न हो सकते है। जिनमे ये एक्जिमा के लक्षण हो सकते हैंः-

  • त्वचा पर बहुत खुजली होना।
  • खुजली के कारण त्वचा से खून निकालना।
  • त्वचा पर बहुत ज्यादा जलन होना।
  • त्वचा पर खुजली के करना लाल चकत्ते बन जाते है।
  • त्वचा पर पपड़ी जमने लगती है।
  • त्वचा पर छोटी-छोटी फुंसिया उभर जाना।
  • पेसेन्ट को चिचिड़पन रहना।
  • पेसेन्ट का डिप्रेसन मे रहना।
  • तेज खुजली के करना त्वचा पर दरारे बन जाती है।
  • पेसेन्ट को खुजली के करना नींद न आने की परेसानी हो सकती है।
  • पलकों पर खुजली चलना और लाल हो जाना।
  • एक्जिमा के साथ साथ दाद, फंगल इन्फेक्शन हो सकता है।
  • त्वचा सुखी सुखी दिखने लगती है।
  • घावों मे पस पड़ने लगती है।
  • शरीर के कई हिस्सों मे सूजन आ जाना।

[और पड़े स्किन डिसीज सोल्ड सोर्स के बारे मे ]

एक्जिमा का निदान । Eczema Diagnosis in Hindi:-

Physical examination (शारीरिक जांच):-

मरीज के शरीर मे सोरायसिस हुआ है, उसकी जांच करेंगे जिसमे निम्न बिन्दुओ पर बात करेंगे-

  • स्किन का रंग कैसा है, चेक करंगे।
  • स्किन सुखी है या नम है, ये चेक करेंगे।
  • स्किन की से पपड़ी तो नहीं निकल रही है।

Blood test (रक्त जांच):- मरीज का ब्लड टेस्ट कराएंगे।

Serum test (सीरम की जांच):– मरीज का सीरम टेस्ट कराएंगे।

और पड़े प्रोस्टेटाईटिस की सम्पूर्ण जानकरी 

एक्जिमा के रोकथाम के उपाय । Prevention of Eczema:-

  1. धूप में ज्यादा देर तक बाहर नहीं रहना चाहिए। इससे एक्जिमा होने की संभावना होती है। अतः अधिक देर तक धूप मे न बाहर घूमे।
  2. तनावपूर्ण जीवन नहीं व्यतीत करना चाहिए। जो व्यक्ति तनाव मे रहता है, उसे एक्जिम होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए अपने जीवन मे तनाव मे न रहे।
  3. एक्जिमा उन लोगों को ज्यादातर होता है, जो लोग समय पर भोजन नहीं करते है। अधिक देर तक भूखे रहते है। इसलिए भोजन नियमित रूप से समय पर करे। और पौष्टिक भोजन करे।
  4. आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए। तंग कपड़ों से स्किन पे रेसेस हो सकते है। त्वचा लाल हो सकती है। जिससे एक्जिमा होने की संभावना होती है। इसलिए आरामदायक कपड़े पहने।
  5. त्वचा को ज्यादा खरोचे नहीं।
  6. अत्यधिक गरम पानी से नहीं नहाए। यैसा करने से एक्जिमा होने की संभावना हो सकती है।
  7. तापमान में होने वाले अचानक बदलावों से बचना चाहिए।
  8. आवश्यकता अनुसार बराबर मात्रा मे रोजाना पानी पिए।
  9. तेज़ गंध वाले पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

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Psoriasis information in Hindi । सोरायसिस पूरी की जानकारी https://kumarmedicalcare.com/psoriasis-information-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=psoriasis-information-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/psoriasis-information-in-hindi/#respond Sun, 11 Apr 2021 14:45:23 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=266 आज कल की भाग दोड़ वाली लाइफ मे कुछ न कुछ बीमारियों का सामना करना ही पड़ता है। जिसमे अपने आप को उन बीमारियों से ...

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आज कल की भाग दोड़ वाली लाइफ मे कुछ न कुछ बीमारियों का सामना करना ही पड़ता है। जिसमे अपने आप को उन बीमारियों से बचना पड़ता है। आज हम जानेंगे सोरायसिस बीमारी के बारे मे जिसमे हम जानेगे सोरायसिस की सम्पूर्ण जानकारी के बारे जिसमे सोरायसिस क्या है, सोरायसिस कितने प्रकार का होता है, सोरायसिस किस कारण होता है, सोरायसिस के क्या लक्षण होते है। इसके निदान क्या होते है और इस बीमारी मे हमे क्या बचाव करना होता है और इस सोरायसिस का क्या उपचार दिया जाता है। ये सारे पॉइंट्स  इस ब्लॉग Psoriasis information in Hindi मे जानेंगे जो अलग अलग सेक्शन मे लिया गया है।

Psoriasis Introduction in Hindi । सोरायसिस क्या हैं?

सोरायसीस एक स्किन से संबंधित बीमारी है, जो शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने कारण होती है। इस बीमारी मे स्किन के ऊपर लाल धब्बे बन जाते है और कुछ दिनों के बाद उन धब्बों से स्किन की पपड़ी निकालने लगती है। और उस स्किन पर मरीज को खुजली चलने लगती है। खुजली के कारण स्किन की पपड़ी छोटे छोटे टुकड़ों मे निकने लगती है। यह बीमारी घुटने, कोहनी, खोपड़ी, और धड़ मे अधिक देखने को मिलती है। सोरायसिस एक येसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।

Psoriasis definition in Hindi । सोरायसिस की परिभाषा :-  

सोरायसिस एक त्वचा का विकार है, जिसमे व्यक्ति की त्वचा की कोशिकाये 10 गुण तेजी से बड़ने लगती है और स्किन लाल, सुखी, और पपड़ीदार हो जाती है और ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे नहीं फैलती है। और ये बीमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी होने से होती है।

Types of Psoriasis in Hindiसोरायसिस के प्रकार :-

  1. प्लाक सोरायसिस: इस प्रकार का सोरायसिस बिल्कुल सामान्य होता है, जिसमे व्यक्ति के शरीर पर लाल चकते पड जाते है।
  2. गुट्टेट सोरायसिस: इस प्रकार के सोरायसिस मे स्किन पे लाल लाल धब्बे बन जाते है और यह धड़ और अंगों पर अधिक होता है।
  3. इनवर्स सोरायसिस: इस प्रकार का सोरायसिस मे लाल लाल चकते बन जाते है। जो सिने पे और बगलों मे अधिक होता है।
  4. पुस्टूलर सोरायसिस: यह एक प्रकार के सोरायसिस मे व्यक्ति को त्वचा पर लाल फूँसियो के समान पपड़ी बन जाती है और यह सोरायसिस हाथ और पेरो के तलवों पर अधिक होता है।
  5. एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस:- इस प्रकार का सोरायसिस गंभीर सन बर्न के जैसा दिखाई देता है। जो पूरे शरीर मे होता है, इस सोरायसिस को जल्दी ही उपचार कराने की आवश्यकता होती है।

Psoriasis Causes in Hindiसोरायसिस के कारण :-

अगर हम सोरायसिस के कारण की बात करे तो, इस बीमारी का कोई सही कारण मोजूद नहीं है, लेकिन कुछ येसे कारक है, जो सोरायसिस होने का कारण बनते है। जिनके कारण यह बीमारी होती है। जो निम्न है-

  • इम्यून सिस्टम (Immune system):- सोरायसिस रोग प्रतिधक क्षमता के काम होने से होता है या रोगप्रतिरोधक क्षमता मे कोई गड़बड़ी होने करना होता है। वेसे तो शरीर की रोगप्रतिरोधक हमारे शरीर मे किसी भी बैक्टीरियल इन्फेक्शन और वायरस के इन्फेक्शन से बचता है। मतलब रोगों से लडने का कार्य करता है। परंतु जब रोगप्रतिरोधक तंत्र मे कोई गड़बड़ी होने के कारण विपरीत प्रभाव डालना सुरू कर देता है जिसके कारण शरीर मे अनैक बीमारिया और विकार उत्पन्न होने लगते है और सोरायसिस भी उनमे से एक है। जिसमे शरीर मे अत्यधिक कोशिकाओ का निर्माण होने लगता है। ये कोशिकाए स्किन की ऊपरी सतह पर जमने लगती है और नास्ट हो जाती है। जिससे स्किन की ऊपरी सतह पर उभरे हुए लाल चकते नजर आते है। उन्हे सोरायसिस कहते है।
  • हार्मोनल चेंजस (Hormonal chenges):- शरीर मे जब भी हार्मोन मे बदलाव आते है, तो आपको सोरायसिस होने की संभावना हो सकती है। जैसे महिलाओ मे पुबेर्टी या मेनोपौसे के दोरान हार्मोन्स मे बदलाव आते है, तो सोरायसिस होने की संभावना हो सकती है। और इसके अलाव गर्भवती महिलाओ सोरायसिस होने की संभावना हो सकती है।
  • मेडिकेशन ( Medication):– कुछ एसी मेडिकिन के साइड इफेक्टस से भी हो सकता है। हम दवाओ का प्रयोग स्वास्थ्य ठीक करने के लिए करते है, लेकिन हर दवा के कुछ न कुछ साइड इफेक्टस होते है।
  • शराब (alcohol):- सोरायसिस शराब पीने वाले लोगों मे होने की संभावना अधिक होती है।
  • धूम्रपान (Smoking):- सोरायसिस धूम्रपान वाले लोगों मे होने की संभावना अधिक होती है।
  • स्किन इनजूरी (skin injury):- अगर किसी पेसेन्ट को स्किन मे इनजूरी है, तो सोरायसिस होने की संभावना होती है।
  • गर्मी और सर्दी का मोसम (Cold and dry weather):- सोरायसिस होने की संभावना cold और dry मोसम मे ज्यादा होती है।
  • तनाव (Stress):- जो लोग ज्यादा stress मे रहते है, उन्मे होने की अधिक संभावना होती है।
  • सूरज की रोशनी (sun light):- अधिक समय तक धूप मे रहने वाले लोग या धूप मे काम करने वाले लोगों मे सोरायसिस होने की संभावना अधिक होती है। वेसे तो थोड़ी सी धूप स्वास्थ्य के लिय लाभदायक होती है धूप से से शरीर को विटामिन डी प्रपात होता है। लेकिन अधिक समय तक धूप मे रहने से स्किन पर प्रभाव पड़ता है। जिस करना सोरायसिस होने की संभावना हो सकती है।
  • एचआईवी: एचआईवी (HIV):-  से पीड़ित मरीजों में सोरायसिस होने का खतरा अधिक होता है.

और पड़े एक्जिमा की पूरी जानकारी

Psoriasis Symptoms in Hindi । सोरायसिस के लक्षण :-

  • पेसेन्ट को स्किन पे लाल गुलाबी चकते बन जाते है।
  • स्किन पे सूजन आ जाती है।
  • स्किन पे जलन होने लगती है।
  • स्किन सुखी सुखी हो जाती है।
  • स्किन से पपड़ी निकालने लगती है।
  • स्किन परतदार दिखने लगती है।
  • दर्द होने लगता है।
  • स्किन पे अधिक खुजली चलती है।
  • ऊपरी त्वचा की कोशिकाए मरने लगती है।
  • स्किन पे दरारे पड़ने लगती है।
  • कभी कभी स्किन से खून भी निकालने लगता है।
  • नाखूनों का रंग बदल सकता है।
  • नाखून उखाड़ने लग जाते है।
  • सिर पर पैच या क्रस्ट बन जाते है।

और पड़े cold sores के बारे मे 

Psoriasis Diagnosis in Hindi । सोरायसिस का निदान :-

Physical examination (शारीरिक जांच):-

मरीज के शरीर मे सोरायसिस हुआ है, उसकी जांच करेंगे जिसमे निम्न बिन्दुओ पर बात करेंगे-

  • स्किन का रंग कैसा है, चेक करंगे।
  • स्किन सुखी है या नम है, ये चेक करेंगे।
  • स्किन की से पपड़ी तो नहीं निकल रही है।
  • मरीज की कोहनीयो को चेक करेंगे।

Blood test (रक्त जांच):- मरीज का ब्लड टेस्ट कराएंगे।

Serum test (सीरम की जांच):- मरीज का सीरम टेस्ट कराएंगे।

 Psoriasis Prevention in Hindi । सोरायसिस के बचाव :-

इस सेक्शन मे हम जानेंगे सोरायसिस से कैसे बचा जाए। सोरायसिस से बचाने के लिए कुछ उपाय है, जो आप अपना सकते है, जो आपको इस बीमारी से बचाएंगे जो निम्न है-

  • अत्यधिक शराब का प्रयोग ना करे।
  • अधिक धूम्रपान ना करे।
  • अधिक स्ट्रेस ना रखे।
  • रोजाना मेडिटेसन करे।
  • विषेले तत्वों वाले खाना खाने से बचे।
  • Moisturizer का प्रयोग करे।
  • पर्सोनल हाइजीन मेंटेंट रखे, अपने आप को साफ स्वछ रखे।
  • अधिक देर तक धूप मे रहे धूप से संन बर्न हो सकता है।
  • अधिक समय तक पानी मे ना रहे है।
  • स्किन पर खुआली होने पर ज्यादा खरोंचना स्किन के लिए हानिकर हो सकता है।
  • अपनी दिनचर्या सही बनाए।
  • स्किन से संभानधित कोई भी बीमारी हो डॉक्टरको जरूर से दिखाए।
  • एसी दवाइयों का प्रयोग ना करे जिससे आपको एलर्जी होती है जिससे आपकी तभीयत खराब होती है।

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Psoriasis treatment in Hindi । सोरायसिस के उपचार :-

अगर हम उपचार की बात करे तो डॉक्टर द्वारा कुछ इस तरह ट्रीट्मन्ट दिया जाता है।

  • डॉक्टर steroid creams का प्रयोग करते है।
  • Moisturizers का पयोग करके सुखी स्किन को ठीक किया जा सकता है।
  • Light therapy:- लाइट टेरिपी से त्वचा की कोशिकाओ को अत्याशिक बदने से रोका जा सकता है।
  • एंजाइम इनहिबिटर:- एंजाइम इनहिबिटर दवाओ का प्रयोग डाक्टर इंफलमेंटरी बियमरियों को ठीक करते है। जिसमें सोरायसिस या सोरियाटिक गठिया को ठीक करने मे करते है।
  • आवश्यक दवाइया मरीज की दी जाती है।

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डायरिया के लक्षण, कारण, बचाव और उपचार

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Cold sore in Hindi । कोल्ड सोर्स की जानकारी https://kumarmedicalcare.com/cold-sore-in-hindi/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=cold-sore-in-hindi https://kumarmedicalcare.com/cold-sore-in-hindi/#respond Sat, 10 Apr 2021 13:09:50 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=245 आज हम जानेगे कोल्ड सोर्स के बारे मे कोल्ड सोर्स क्या है, कोल्ड सोर्स कैसे होता है, कोल्ड सोर्स के क्या कारण है, इसके क्या ...

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आज हम जानेगे कोल्ड सोर्स के बारे मे कोल्ड सोर्स क्या है, कोल्ड सोर्स कैसे होता है, कोल्ड सोर्स के क्या कारण है, इसके क्या लक्षण होते है, इसके बचाव क्या है और क्या उपचार दिया जाता है। हम जानेंगे इस पोस्ट Cold sore in Hindi मे जो नीचे अलग अलग सेक्सन मे लिखा गया है।

कोल्ड सोर्स एक वाइराल इन्फेक्शन है, जो होंठों के चारों तरफ कही भी हो जाते है। Cold sores herpes simplex virus 1 से होते है। और उन छालों मे पानी भर जाता है। जिसे हम फफोले कहते है और कुछ ही दिनों मे वो फट जाते है। जिसमे व्यक्ति को दर्द का सामना करना पड़ता है। और ये अधिकतर किस करने से फैलता है। कुछ ही दिनों मे यह ठीक हो जाते है।

Definition of cold sore in Hindi (कोल्ड सोर्स की परिभाषा):-

Cold sores एक प्रकार के छाले होते है, जिसे हम Fever Blister भी कहते है, जो होंठों के चारों ओर फफोलों के रूप मे निकालते है। जो कुछ दिनों मे ठीक हो जाते है।

Duration(समय):-

अगर हम कोल्ड सोर के Duration की बात करे, तो यह लगभग 2 से 3 हफ्ते तक रहते है, और धीरे धीरे अपने आप ठीक हो जाते है।

और पड़े एक्जिमा की पूरी जानकारी 

Causes of Cold sores in Hindi (कोल्ड सोर के कारण):-

कोल्ड सोर वाइरल इन्फेक्शन के करना होता है जैसे पहले ही बताया herpes simplex virus प्रकार 1 के कारण होता है।

  1. herpes simplex virus के करना होता है।
  2. यह ज्यादातर किस करने से होता है।
  3. खान एक साथ खाने से हो सकता है।
  4. एक दूसरे से टोवेल शेयर करने से हो सकता है।

Symptoms of Cold sores in Hindi (कोल्ड सोर रोग के लक्षण):-

अगर हम कोल्ड सोर्स की लक्षणों की बात करे तो कुछ इस प्रकार के लक्षण हो सकते है।

  1. व्यक्ति को ठंड लग के बुखार आ सकती है।
  2. व्यक्ति को होंठों पे दर्द होता है।
  3. होंठों पे ब्लिस्टर बन जाते है।
  4. व्यक्ति को होंठों पे खुजली होती है।
  5. व्यक्ति को सिर दर्द हो सकता है।

और पड़े सोरायसिस पूरी की जानकारी

Diagnosis of Cold sores in Hindi ( कोल्ड सोर के निदान):-

Physical examination(शारीरिक जाच):- पेसेन्ट की शारीरक जाच करेंगे, जिसमे पेसेन्ट के होंठों पर Blister  की।

Blood test (रक्त जांच) :- पेसेन्ट का ब्लड टेस्ट करेंगे ये पता लगने के लिए किस करना ये बीमारी हुई है।

Prevention of Cold sores in Hindi (कोल्ड सोर्स के बचाव):-

अगर हम कोल्ड सोर के बचाव की बात करे तो कुछ टिप्स जिन्हे अपना कर कोल्ड सोर से बच जा सकता है। जो निम्न है-

  1. खुद पर्सोनल हाइजीन मेंटेंन कर के रखे।
  2. किस करने से बचे।
  3. किसी दूसरे के टोलिया उपयोग ना करे।
  4. एक साथ खान खाने से बचे।
  5. अगर आपको कोल्ड सोर है, तो आप एसीडीक खाने और फलों का प्रयोग ना करे।
  6. सूरज की रोसनी मे ज्यादा देर तक ना रहे।

और पड़े डायरिया(Diarrhea) की पूरी जानकारी 

Treatment of Cold sores in Hindi (कोल्ड सोर का इलाज):-

  • अगर हम कोल्ड सोर के उपचार की बात करे, तो यह herpes simplex virus 1 के कारण होता है। जिसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन कोल्ड सोर कुछ ही हफ्तों मे ठीक हो जाते है।
  • कोल्ड सोर के इलाज मे Antiviral drugs बहुत कारगर है। आप अपने डाक्टर से परामर्स से Antiviral medicine ले सकते है।
  • आप खोपरे का तेल ब्लिस्टर पर लगा सकते है, जिससे कुछ राहत मिल सकती है।

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डायरिया के लक्षण, कारण, बचाव और उपचार https://kumarmedicalcare.com/information-of-diarrhea/?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=information-of-diarrhea https://kumarmedicalcare.com/information-of-diarrhea/#respond Fri, 09 Apr 2021 15:31:06 +0000 https://kumarmedicalcare.com/?p=234 Diarrhea एक गंभीर बीमारी है, जो दूषित पानी पीने और दूषित खाना खाने से होता है। इस बीमारी मे मरीज को मल पतला आने लगता ...

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Diarrhea एक गंभीर बीमारी है, जो दूषित पानी पीने और दूषित खाना खाने से होता है। इस बीमारी मे मरीज को मल पतला आने लगता है और पेट मे अत्यधिक दर्द होता है और पेसेन्ट को दस्त बार बार होते है। जिसके करना पेसेन्ट के शरीर से पानी की कमी हो जाती है, चक्कर आने लगती है, शरीर मे कमजोरी हो जाती है। और इस ब्लॉग मे डायरिया के लक्षण, कारण, बचाव और उपचार के बारे मे जानेगे, जो हम आगे अगल अलग  सेक्शन मे पड़ेंगे।

डायरिया की  परिभाषा(Definition of Diarrhea):- 

Diarrhea एक एसी स्थिति है, जिसमे आंतों मे वायरस, बैक्टीरिया औ पेरासाइट के कारण इन्फेक्शन हो जाता है, जिसे आंत्रशोध(gastroenteritis) भी कहते है। जिसमे आंतों मे सूजन आ जाती है। जिस कारण मल पतला आने लगता है और बार बार मल करने की आसंका रहती है। जिसे हम Diarrhea कहते है।

डायरिया के (Types of Diarrhea):-

Acute Diarrhea:- इस प्रकार के दस्त मे कुछ ही दिनों तक रहा है, जिसमे पेसेन्ट को मल पतला होने लगता है। इसका इलाज करने की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है। यह अपने आप एक दो दिन मे ठीक हो जाता है।

Persistent Diarrhea:- इस प्रकार के दस्त मे पेसेन्ट को पानी जैसे मल आने लगता है और यह 2 से 4 सप्ताह तक रहता है। जिसे Persistent Diarrhea कहते है। इस स्थिति मे उपचार कारण अनिवार्य होता है।

Chronic Diarrhea:- इस प्रकार का Diarrhea लंबे समय तक रहता है, लगभग जो 4 सप्ताह  से अधिक हो सकता है, जिसे chronic Diarrhea कहते है। ये बहुत ही गंभीर स्थिति होती है। इस प्रकार Diarrhea मे पेसेन्ट की कोमा मे भी जा सकता है।

डायरिया के कारण (Diarrhea Causes):-

  • वायरल इंफेक्शन के कारण होता है।
  • बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है।
  • पेरासाइट इन्फेक्शन के कारण होता है।
  • रोटावायरस, नोरोवायरस, इन्फेक्शन के कारण होता है।
  • शराब पीने के कारण हो सकता है।
  • अगर पाचन तंत्र मे कोई सर्जरी हुई है, तो हो सकता है।
  • किसी खाने से एलर्जी होने से होता है।
  • अगर आंतों से संबंधित बीमारी है, तो हो सकता है।
  • पेट मे किसी तरह का इन्फेक्शन फैलने से होता है।
  • पाचन क्रिया ठीक से न हो पाने से होता है।
  • दूषित खाना खाने से हो सकता है।
  • दूषित पानी पीने से हो सकता है।
  • अगर शरीर मे पानी की कमी हो गई है, तो हो सकता है
  • किसी दवा से एलर्जी होने पर हो सकता है।

और पड़े प्रोस्टेटाईटिस की सम्पूर्ण जानकरी 

डायरिया रोग के लक्षण(Symptoms of Diarrhea):-

डायरिया रोग होने पर कुछ लक्षण सामान्य और कुछ लक्षण गंभीर हो सकते है। यह लक्षण कुछ इस प्रकार है-

  • इस डिसिज मे मल पतला हो जाता है
  • मल बार बार होता है।
  • मल के साथ खून आना।
  • पेसेन्ट को  बुखार आ जाती है।
  • पेट मे अत्यधिक दर्द होता।
  • उबके आना।
  • उलटी होना।
  • पेट मे मरोड़ उत्पन्न होना।
  • खनिज लवणों की कमी हो जाना।
  • शरीर मे पानी की कमी हो जाना।
  • शरीर मे कमजोरी और थकान रहना
  • मुह मे सूखापन लगना।
  • बार बार चक्कर आना।
  • वजन काम हो जाना।
  • पेशाब का कम आना।
  • चिड़चिड़ापान रहना।

और पड़े एक्जिमा की पूरी जानकारी

डायरिया के निदान (Diagnosis of diarrhea):-

Blood test:-

रक्त की जाच इसलिए की जाती है, की दस्त किस कारण हुआ ये पता लगने के लिए।

Stool test:-

मल का परीक्षण इस लिए किया जाता है, की diarrhea परजीवी के कारण हुआ है या जीवाणु के कारण हुआ है। ताकि उसका सही उपचार दिया जा सके।

Sigmoidoscopy or colonoscopy:-

Sigmoidoscopy ओर colonoscopy की जाती है यह पता लगने के लिए की आंतों मे सूजन तो नहीं है और आंतों मे छाले तो नहीं पड गए है।

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डायरिया के बचाव (Prevention of diarrhea):-

इस सेक्शन मे हम जानेगे की diarrhea से कैसे बचा जा सकता है। हम जानेंगे कुछ येसे टिप्स जिनको अपना कर diarrhea रोग होने से बचा जा सकता है। जो निम्न प्रकार के है-

  1. बार बार धोना चाहिए।
  2. बाहर से आने के बाद अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिए।
  3. शौच के बाद अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए।
  4. बाहर का खान खाने से बचे।
  5. कच्चा या आधा पका खाना खाने से बचे।
  6. फल सब्जियों को अच्छे से धो के ही इस्तेमाल करे।
  7. भोजन को साफ स्थान पर रखना चाहिए।
  8. साफ स्वच्छ पानी पीना चाहिए।
  9. साफ सुथरा भोजन करे।
  10. हेंड सेनीटाइजर का प्रयोग करे।

डायरिया के घरेलू उपाय( Home remedies for diarrhea):-

डायरिया से छुटकारा पाने के लिए आप घर पर कुछ उपाय कर सकते है। और अगर इन उपायों से डायरिया ठीक ना हो तो आप अपने डाक्टर से जाकर उपचार कराए तो चलिए जानते है कुछ उपाय जो आप घर पर कर सकते है-

  1. दिन मे थोड़े थोड़े समय मे ORS का प्रयोग करे।
  2. येसे आहार का सेवन करे जिसमे विटामिन ए अधिक मात्र मे हो जैसे- गाजर, शक्करकंद आदि।
  3. आप दिन मे 1 से 2 बार नारियल पानी पिए।
  4. दिन भर मे 1 से 2 बार शहद का प्रयोग करे।
  5. आप दिन मे थोड़े थोड़े समय मे दही का सेवन कर सकते है।
  6. दिन मे 1 से 2 बार ग्रीन टी का प्रयोग कर सकते है।

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